उच्चतम न्यायालय ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के आरोपी को अग्रिम जमानत दी

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने शादी का झांसा देकर एक महिला से शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी है।.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने प्राथमिकी में गवाह द्वारा किए गए दावों पर गौर किया। पीठ ने कहा, ‘‘विचार करने पर हम अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत की राहत इस निर्देश के साथ देने के इच्छुक हैं कि अपीलकर्ता को गिरफ्तार किए जाने की स्थिति में निचली अदालत द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाएगा। इसके अलावा, अपीलकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 438(2) के आदेश का पालन करेगा।’’.जयपुर में दर्ज प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों में कहा गया है कि आरोपी ने पीड़िता से शादी का वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाए। याचिकाकर्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए आपराधिक वकील नमित सक्सेना के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया। खंडपीठ ने कहा, अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत देने को मामले की योग्यता पर राय की अभिव्यक्ति के रूप में नहीं माना जाएगा..। इस आदेश से प्रभावित हुए बिना योग्यता के आधार पर और कानून के अनुसार तय किया जाएगा। सक्सेना ने तर्क दिया कि यदि पुरुष साथी प्रेमालाप के बाद बाहर निकलने का विकल्प चुनता है तो एक जोड़े द्वारा एक लंबे, रोमांटिक रिश्ते में यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि पुरुष साथी एक रोमांटिक रिश्ते से बाहर निकलने का विकल्प चुनता है और शादी में उसकी परिणति नहीं करता है, तो प्रेमालाप की अवधि के दौरान संभोग को हर समय सहमति के बिना नहीं माना जा सकता है या रिश्ते में खटास आने के बाद इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा, अग्रिम जमानत देने के आवेदन को खारिज करने वाले आदेश को अलग रखा गया है और उपरोक्त शर्तों में अपील की अनुमति दी जाती है। लंबित आवेदन, यदि कोई हो, का निस्तारण किया जाएगा।