प्रयागराज,22 अप्रैल (ए)। यूपी के प्रयागराज में गत दिनों हुए अतीक-अशरफ हत्याकांड की परतें जांच के दौरान अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। इस हत्याकांड में अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सांसद और माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को गोलियां बरसाकर मौत की नींद सुलाने वाले कातिलों में शामिल अरुण मौर्य शेर-ए-अतीक व्हाट्सएप से भी जुड़ा था। यह ग्रुप अतीक के बेटे असद ने खुद बनाया था। इस व्हाट्सएप ग्रुप में प्रयागराज के अलावा कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सुल्तानपुर, कानपुर सहित यूपी के 20 से ज्यादा जिलों के साथ ही दूसरे प्रदेशों के भी तमाम लोग जुड़े थे। इस स ग्रुप से माफिया का हत्यारा अरुण मौर्य भी जुड़ा था। हालांकि बाद में वह ग्रुप से अलग हो गया था। अरुण मौर्य के ग्रुप से जुड़ने का मतलब है कि अरुण और असद की जान पहचान पहले से ही थी। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अरुण काफी समय तक इस ग्रुप से जुड़ा था और सक्रिय भागीदारी निभा रहा था। उसने ग्रुप क्यों छोड़ा इसकी पूछताछ उससे की जा रही है।
पुराना शहर माफिया अतीक अहमद का गढ़ माना जाता रहा है। यहां उसकी खिलाफत करके कोई चैन से नहीं रह सकता था, वह चाहे कितना भी बड़ा व्यापारी, अधिकारी या राजनेता ही क्यों न हो। पुराने शहर में उसके तमाम मददगार और करीबी रहते हैं जो उसके लिए काम करते थे। माफिया के गढ़ में ही उसे ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतारने वाले लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह के बारे में रोज नई सूचनाएं सामने आ रही हैं।
मीडिया छपी रिपोर्ट और पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस की पूछताछ में कासगंज के अरुण मौर्य ने बताया कि झांसी में एनकाउंटर में मारे गए अतीक अहमद के बेटे असद के शेर-ए-अतीक ग्रुप से वह जुड़ा था। बाद में वह इससे अलग हो गया।
शेर ए अतीक ग्रुप माफिया अतीक अहमद के महिमामंडन के लिए बनाया गया था। इस वॉट्सएप ग्रुप में ऐसे वीडियो और फोटो शेयर किए जाते थे, जिसमें अतीक के बादशाहत की दास्तां बताई जाती थी। उसके दहशत और लोकप्रियता के बारे में वीडियो और फोटो के माध्यम से बताया जाता था। ऐसी ही कई वीडियो-फोटो इस ग्रुप में जुड़कर अतीक के हत्यारे अरुण मौर्य ने भी देखी होंगी, हो सकता है कि अतीक जैसा बनने की प्रेरणा उसे इसी ग्रुप से मिली हो। हालांकि बाद में अरुण मौर्य ने ये वॉट्सएप ग्रुप छोड़ दिया और गैंग 90 नाम के दूसरे वॉट्सएप ग्रुप से जुड़ गया। ये सारी जानकारी जांच कर रही SIT के हाथ लग गई हैं।
पानीपत में अरुण मौर्य के खिलाफ पहली बार शस्त्र अधिनियम के तहत पहला मामला दर्ज किया गया था तो उसकी उम्र करीब 18 साल थी। गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में पुलिस गिरफ्तार आरोपियों की क्राइम कुंडली खंगाल रही है। इस हत्याकांड में शामिल अरुण मौर्य पर पिछले साल हरियाणा के पानीपत में अवैध हथियार रखने का मामला दर्ज किया गया था।
अरुण पर फरवरी, 2022 में शस्त्र अधिनियम के तहत और उसी साल मई में एक अन्य मामला दर्ज किया गया था। वह जेल भी गया था। पानीपत में रिकॉर्ड के मुताबिक फरवरी 2022 में अवैध हथियार रखने के चलते शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक मामला दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा मामला मई में एक झगड़े को लेकर दर्ज किया गया था।
अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीन में से एक कासगंज के शूटर अरुण मौर्य के गांव कादरवाड़ी में पुलिस की चहलकदमी है। शूटर के घर में ताले पड़े हुए हैं और घर के बाहर अनाज बिखरा हुआ है। इस बीच शुक्रवार को अमर उजाला की टीम जब शूटर के गांव पहुंची, तो हैरान कर देने वाली जानकारी मिली। अरुण मौर्य का गांव में बहुत आना-जाना नहीं था, लेकिन जब पिछली साल वह अपने घर आया तो गुमसुम रहता था।
गांव के लोगों ने बताया कि अरुण मौर्य के पिता को कोई भी दीपक नाम से नहीं जानता है। गांव में उसे सभी मैनेजर कहते हैं। प्रयागराज में अतीक और अशरफ की हत्या के बाद जब अरुण मौर्य का नाम प्रकाश में आया तो पुलिस उसके पिता दीपक को तलाशती हुई गांव में आई। ग्रामीणों ने पूछताछ के दौरान इस नाम के शख्स की पहचान करने से मना किया, लेकिन बाद में उसकी पहचान मैनेजर के नाम से हो सकी। इसके बाद ग्रामीण पुलिस को उसके घर ले गए।