कोलकाता, 21 जुलाई (ए) मणिपुर में भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के वीडियो ने पश्चिम बंगाल में नागरिक संस्था को स्तब्ध कर दिया है, जिसने इस घटना को ‘शर्मनाक’ करार दिया है।.
देश की सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले कोलकाता में फिल्म निर्माताओं और चित्रकारों ने इस घटना की एक स्वर में निंदा की।फिल्म निर्माता एवं सामाजिक कार्यकर्ता अपर्णा सेन मणिपुर की घटना पर प्रतक्रिया के लिए आग्रह करने पर रो पड़ीं और उन्होंने इस घटना को ‘नारीमेध यज्ञ’ (नारी की आहुति देना) करार दिया।
उन्होंने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि इस तरह की घटना पर क्या कहना चाहिए या इस तरह की घटना पर कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त किया जाना चाहिए… मैं देख सकती हूं कि (मणिपुर में) एक नारीमेध यज्ञ हुआ है। अगर मैं कुछ बोलूं तो क्या इससे कोई फर्क पड़ेगा? हम वर्षों से अपनी राय दे रहे हैं। क्या वह कोई मायने रखता है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि आने वाले दिनों में हमें अपनी शिकायतें खुलकर व्यक्त करने दिया जाएगा, या नहीं।’’
बंगाली अभिनेता परमब्रत चटर्जी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि मणिपुर के वीडियो ने उन्हें ‘‘स्तब्ध’’ कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसे देखकर विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि ऐसा वास्तव में हुआ है। मैं यह सोचकर कांप उठता हूं कि सभ्य समाज में ऐसा वास्तव में हो सकता है। यह बात मुझे मानसिक रूप से परेशान कर रही है कि ऐसी घटना मेरे देश में भी हो सकती है।’’
अभिनेता ने कहा, ‘‘महीनों से हम मणिपुर की स्थिति के बारे में सुन रहे हैं। दिन-प्रतिदिन हम क्रूरताओं के बारे में खबर सुनते हैं, जो अकल्पनीय है और अब यह वीडियो सामने आया है। मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि हम कहां जा रहे हैं।’’
चित्रकार समीर आइच ने कहा कि 19 जुलाई को सामने आए वीडियो में मणिपुर का स्तब्ध कर देने वाला दृश्य देश पर एक ‘‘धब्बा’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य होता है कि क्या हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि हमारे देश की स्थिति तालिबान शासित अफगानिस्तान से बेहतर है।’’
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय द्वारा पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडरिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी और अब तक इसमें 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।