दिल्ली, 27 अगस्त (ए) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसके 2004 के फैसले पर फिर से विचार किए जाने की जरूरत है जिसमें कहा गया था कि शैक्षणिक संस्थानों में नौकरियों और प्रवेश में आरक्षण देने के लिए राज्यों के पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों का उपवर्गीकरण करने की शक्ति नहीं है।
