नयी दिल्ली: 12 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने लिंगदोह समिति की उस सिफारिश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र और अन्य से जवाब मांगा जिसमें कहा गया है कि छात्रसंघ के किसी पद के लिए कोई छात्र एक से अधिक बार चुनाव नहीं लड़ सकता।
शीर्ष अदालत के आदेश के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भारत में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र निकायों एवं छात्रसंघ चुनावों से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें देने के लिए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जे. एम. लिंगदोह के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था।समिति ने 26 मई, 2006 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिका पर भारत संघ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अन्य को नोटिस जारी किया।
मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।
शीर्ष अदालत लिंगदोह समिति की सिफारिश के खिलाफ उत्तराखंड निवासी नवीन प्रकाश नौटियाल और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सिफ़ारिश में कहा गया है, ‘‘उम्मीदवार को पदाधिकारी पद पर चुनाव लड़ने का एक अवसर मिलेगा, और कार्यकारी सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने के दो अवसर मिलेंगे।’’
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि विशेष सिफारिश के बारे में कोई कारण नहीं बताया गया या चर्चा नहीं की गई।
भूषण ने कहा कि इस तरह का प्रावधान पूरी तरह से “मनमाना और भेदभावपूर्ण” है।समिति की सिफारिशों को शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया था और 22 सितंबर 2006 को निर्देश दिया था कि इन्हें छात्र संघ चुनावों के लिए सभी कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों द्वारा लागू किया जाएगा।