नयी दिल्ली: दो अगस्त (ए) उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति को सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने लेकिन मोटापे के कारण ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ घोषित किए जाने के करीब एक दशक बाद शुक्रवार को राहत दी और संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) को नए सिरे से उसका चिकित्सा परीक्षण कराने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए यूपीएससी को रक्षित शिवम प्रकाश के लिए नए सिरे से शारीरिक दक्षता परीक्षा कराने का निर्देश दिया। प्रकाश ने 2014 में आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में 93वां स्थान प्राप्त किया था, लेकिन ‘अस्वीकार्य’ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के कारण भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गया था।उम्मीदवार का बीएमआई 31.75 था, जो निर्धारित मानक 30 से अधिक है। उसे ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ घोषित कर दिया गया और परिणामस्वरूप उसकी नियुक्ति नहीं हुई। वह 14 जुलाई, 2015 को निर्धारित दूसरी चिकित्सा जांच में शामिल नहीं हो सका।भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत को ‘अपने समक्ष लंबित किसी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश’ पारित करने का अधिकार देता है।
इस शक्ति का प्रयोग करते हुए न्यायमूर्ति पी एस नरसिंह और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा, ‘‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, हम सीमित राहत प्रदान करना उचित समझते हैं। यह राहत प्रतिवादियों (यूपीएससी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग सहित अन्य) को पुनः-चिकित्सा परीक्षण पुनर्निर्धारित करने का निर्देश देगी, जो 14 जुलाई, 2015 को आयोजित किया जाना था, जिसे याचिकाकर्ता दुर्भाग्यवश चूक गया।’’
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि प्रकाश चिकित्सा जांच में सफल होता है तो उसकी सेवाएं नियुक्ति की तारीख से शुरू मानी जाएंगी।