पूजा खेडकर को आईएएस उम्मीदवारी रद्द करने वाले आदेश की प्रति दी जाएगी : यूपीएससी ने अदालत में कहा

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: सात अगस्त (ए) संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करने के अपने आदेश के बारे में उन्हें दो दिन के भीतर सूचित करेगी।

यूपीएससी की दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने आयोग की उस प्रेस विज्ञप्ति को चुनौती देने वाली खेडकर की याचिका का निस्तारण कर दिया कि उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गयी है।अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार उचित मंच पर जाने की छूट देते हुए याचिका का निपटारा किया जाता है। यह स्पष्ट किया जाता है कि इस अदालत ने न तो मामले में कोई दखल दिया है और न ही मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त की है।’’उच्च न्यायालय ने खेडकर को यूपीएससी को अपना पता बताने के लिए कहा। अदालत ने कहा कि आदेश की प्रति उनके पास जाकर दी जाए या इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजी जाए।

उसने यह भी कहा कि उम्मीदवारी रद्द करने के आदेश को चुनौती देने जैसी अन्य राहत के लिए खेडकर को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के पास जाना होगा।

सुनवाई के दौरान खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उम्मीदवारी रद्द करने के फैसले के बारे में उनके मुवक्किल को कभी सूचित नहीं किया गया और उन्हें प्रेस विज्ञप्ति के जरिए ही इसके बारे में पता चला है।

अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर कि खेडकर ने कैट में चुनौती क्यों नहीं दी, इस पर जयसिंह ने कहा कि चूंकि यूपीएससी ने उन्हें आधिकारिक आदेश नहीं दिया इसलिए प्रेस विज्ञप्ति के खिलाफ याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की गयी है।

यूपीएससी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक ने कहा कि आयोग खेडकर के आखिरी ज्ञात पते के साथ ही उनकी ईमेल आईडी पर दो दिन के भीतर आदेश की सूचना दे देगा।

यूपीएससी ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवार रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं में हिस्सा लेने से भी रोक दिया था।

खेडकर पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में ‘गलत जानकारी प्रस्तुत करने’ का आरोप लगाया गया है। खेडकर पर धोखाधड़ी करने और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा पीडब्ल्यूडी (दिव्यांगजन) कोटा का लाभ उठाने का आरोप है।

दिल्ली की एक अदालत ने एक अगस्त को खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि ये गंभीर आरोप हैं जिनकी ‘‘विस्तृत जांच करने की आवश्यकता है।’’