नयी दिल्ली: 30 दिसंबर (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अदालत पहुंचने में लापरवाही या देरी के लिए वकील को दोषी ठहराने की परिपाटी को लेकर पुरजोर असहमति जताते हुए कहा है कि किसी वकील को मुकदमा लड़ने के लिए वकालतनामा दे देने मात्र से कोई वादी अपने मामले पर नजर रखने की सारी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो जाता।
न्यायमूर्ति सी हरिशंकर और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने कहा कि याचिका दायर करने में देरी पर स्पष्टीकरण मांगते हुए विधिज्ञ परिषद में शिकायत दर्ज कराना आसान है, लेकिन वादी को पूरी अवधि के दौरान वकील के संपर्क में रहने के “स्वीकार्य और पुख्ता” सबूत दिखाने चाहिए तथा साथ ही यह साबित करना होगा कि उसे गुमराह किया गया।