नयी दिल्ली: 28 अप्रैल (ए) होटल और रेस्तरां को जल्द ही यह बताना पड़ सकता है कि वे ग्राहकों को परोसे जाने वाले किन व्यंजनों में दूध से बने पनीर की जगह गैर-डेयरी उत्पादों से तैयार पनीर का उपयोग करते हैं। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर रहा है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
FSSAI) यानी कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने उपभोक्ताओं को धोखा देने से रोकने के लिए पनीर बनाने वालों के लिए एनालॉग पनीर को ‘गैर-डेयरी’ के रूप में लेबल करना पहले ही अनिवार्य कर दिया है। हालांकि, ये नियम मौजूदा समय में रेस्तरां में परोसे जाने वाले तैयार डिशों पर लागू नहीं होते हैं।
एफएसएसएआई के नियमों के अनुसार, एनालॉग पनीर एक ऐसा उत्पाद है, जिसमें दूध के कंपोनेंट्स को या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से गैर-डेयरी सामग्री से बदल दिया जाता है, हालांकि, अंतिम उत्पाद पारंपरिक डेयरी आधारित पनीर की तरह ही लगता है। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बताया, ‘एनालॉग पनीर दिखने और स्वाद में पारंपरिक पनीर जैसा होता है, लेकिन यह पनीर नहीं है। एनालॉग पनीर सस्ता है। होटल और रेस्तरां उपभोक्ताओं को इसके बारे में क्यों नहीं बताते हैं।’खरे ने कहा कि प्रतिष्ठानों को ग्राहकों को साफ रूप से बताना चाहिए कि खानों में पारंपरिक पनीर है या गैर-डेयरी उत्पादों से बना पनी (एनालॉग) पनीर है और उसी के अनुसार उनकी कीमत तय करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पारंपरिक पनीर के नाम पर वनस्पति तेल जैसे गैर-डेयरी प्रोडक्ट्स से बना पनीर नहीं बेचना चाहिए।’