नयी दिल्ली: आठ फरवरी (ए) दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) की कथित निष्क्रियता से मुस्लिम समुदाय नाराज़ बताया जा रहा था लेकिन इन विधानसभा चुनाव में उसने ‘झाड़ू’ को ही प्राथमिकता दी। सभी 70 विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य मानी जाने वाली छह में से पांच सीटों पर ‘आप’ के उम्मीदवारों को सफलता मिली है।इस बार ‘आप’ को मुस्तफाबाद सीट पर हार का सामना करना पड़ा जहां पिछली बार उसके उम्मीदवार हाजी युनूस ने जीत हासिल की थी।दिल्ली में छह सीट– सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान, ओखला और बाबरपुर मुस्लिम बहुल सीट मानी जाती हैं।
हालांकि चुनाव से पहले यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के 2020 के दंगे, कोरोना वायरस महामारी के दौरान उपजे तब्लीगी जमात के मुद्दे और अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े मुद्दों पर पार्टी की कथित चुप्पी को लेकर मुस्लिम मतदाताओं में ‘आप’ को लेकर नाराज़गी है।
मगर चुनावी नतीजों के मुताबिक, मुस्लिम बहुल सीटों पर ‘आप’ के उम्मीदवार ही समुदाय की पहली पसंद रहे।
इस बार चार मुस्लिम विधायक जीते हैं जबकि पिछली बार पांच मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे।
मुस्लिम राजनीति के जानकार एवं ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (सीएसडीएस) में एसोसिएट प्रोफेसर हिलाल अहमद ने ‘ कहा कि यह चुनाव उम्मीदवार केंद्रित था, क्योंकि चुनाव से पहले नेताओं ने जिस तरह से दल बदल किया, उसके बाद मतदाताओं ने उम्मीदवार देखकर वोट दिया।