अनु. 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार हुए विस चुनाव में नेकां-कांग्रेस गठबंधन को मिली जीत

राष्ट्रीय
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श्रीनगर/जम्मू: आठ अक्टूबर (ए) विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली चुनी हुई सरकार बनाएगा,जहां उसने विधानसभा चुनावों में 90 में से 49 सीट हासिल की हैं। पांच साल पहले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए हैं।

जम्मू-कश्मीर की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) 42 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तथा उसे अपने दम पर बहुमत से सिर्फ छह सीट कम मिली हैं। भाजपा को 29 तथा पीडीपी को तीन सीटें प्राप्त हुई है।वहीं , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीट-बंटवारे समझौते के तहत उसे आवंटित एकमात्र सीट जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस पार्टी ने छह सीट जीतीं, जिनमें से पांच कश्मीर घाटी में हैं।

जम्मू-कश्मीर चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक नहीं है, क्योंकि उसे जम्मू क्षेत्र में केवल एक सीट ही मिली।

भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना की हार के बावजूद पार्टी का मत प्रतिशत बढ़कर 25.64 फीसदी हो गया, जो 2014 में 23 प्रतिशत था।

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक भाजपा की सीट संख्या में इजाफे को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं और इसका मुख्य कारण विधानसभा सीटों के हाल में हुए परिसीमन को मानते हैं, जिसमें भाजपा के कई मजबूत गढ़ों को किश्तवाड़ और नगरोटा जैसे दो भागों में तथा जम्मू जिले के अन्य क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के मत प्रतिशत में भी बढ़ोतरी देखी गई, और यह बढ़कर 23.43 प्रतिशत हो गया, जो 2014 में 20.77 फीसदी था।

इसके विपरीत, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को भारी नुकसान हुआ और उसे सिर्फ तीन सीट मिल सकीं, जबकि 2014 में उसने 28 सीट हासिल की थी। साथ ही उसका मत प्रतिशत भी घटकर महज 8.87 फीसदी रह गया, जो 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 22.67 प्रतिशत था।

कांग्रेस का ग्राफ भी गिरा है और उसे केवल छह सीटें मिलीं, जबकि एक दशक पहले हुए चुनाव में उसे 12 सीट मिली थी तथा पार्टी का मत प्रतिशत 18 फीसदी था, जो 2024 के चुनाव में गिरकर लगभग 12 प्रतिशत रह गया।

इन चुनाव में सिर्फ तीन महिलाएं जीत सकीं, जिनमें सकीना मसूद, शमीमा फिरदौस (दोनों एनसी से) और शगुन परिहार (भाजपा से) शामिल हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के दो वरिष्ठ नेता – अब्दुल रहीम राथर (चरार-ए-शरीफ) और अली मोहम्मद सागर (खानयार) – सातवीं बार विधायक चुने गए हैं।

चुनाव जीतने वाले अहम उम्मीदवारों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा, पीडीपी की युवा शाखा के प्रमुख वहीद पारा और भाजपा नेता देवेंद्र राणा शामिल हैं।

चुनाव में शिकस्त खाने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग (निर्दलीय), कांग्रेस नेता तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष वकार रसूल वानी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष नासिर असलम वानी शामिल हैं।वहीं , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीट-बंटवारे समझौते के तहत उसे आवंटित एकमात्र सीट जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस पार्टी ने छह सीट जीतीं, जिनमें से पांच कश्मीर घाटी में हैं।

जम्मू-कश्मीर चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक नहीं है, क्योंकि उसे जम्मू क्षेत्र में केवल एक सीट ही मिली।

भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना की हार के बावजूद पार्टी का मत प्रतिशत बढ़कर 25.64 फीसदी हो गया, जो 2014 में 23 प्रतिशत था।

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक भाजपा की सीट संख्या में इजाफे को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं और इसका मुख्य कारण विधानसभा सीटों के हाल में हुए परिसीमन को मानते हैं, जिसमें भाजपा के कई मजबूत गढ़ों को किश्तवाड़ और नगरोटा जैसे दो भागों में तथा जम्मू जिले के अन्य क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के मत प्रतिशत में भी बढ़ोतरी देखी गई, और यह बढ़कर 23.43 प्रतिशत हो गया, जो 2014 में 20.77 फीसदी था।

इसके विपरीत, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को भारी नुकसान हुआ और उसे सिर्फ तीन सीट मिल सकीं, जबकि 2014 में उसने 28 सीट हासिल की थी। साथ ही उसका मत प्रतिशत भी घटकर महज 8.87 फीसदी रह गया, जो 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 22.67 प्रतिशत था।

कांग्रेस का ग्राफ भी गिरा है और उसे केवल छह सीटें मिलीं, जबकि एक दशक पहले हुए चुनाव में उसे 12 सीट मिली थी तथा पार्टी का मत प्रतिशत 18 फीसदी था, जो 2024 के चुनाव में गिरकर लगभग 12 प्रतिशत रह गया।

इन चुनाव में सिर्फ तीन महिलाएं जीत सकीं, जिनमें सकीना मसूद, शमीमा फिरदौस (दोनों एनसी से) और शगुन परिहार (भाजपा से) शामिल हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के दो वरिष्ठ नेता – अब्दुल रहीम राथर (चरार-ए-शरीफ) और अली मोहम्मद सागर (खानयार) – सातवीं बार विधायक चुने गए हैं।

चुनाव जीतने वाले अहम उम्मीदवारों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा, पीडीपी की युवा शाखा के प्रमुख वहीद पारा और भाजपा नेता देवेंद्र राणा शामिल हैं।

चुनाव में शिकस्त खाने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग (निर्दलीय), कांग्रेस नेता तारा चंद, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष वकार रसूल वानी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष नासिर असलम वानी शामिल हैं।बडगाम और गांदरबल दोनों सीट पर जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ने समर्थन के लिए मतदाताओं का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, “हम इस नए जनादेश में लोगों की सेवा करने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में नए संगठन बनाकर उनकी पार्टी को खत्म करने के कई प्रयास किए गए, जो इस चुनाव में ध्वस्त हो गए।

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एनसी-कांग्रेस गठबंधन को जीत की बधाई देते हुए कहा कि केंद्र को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के निर्णायक फैसले से सबक लेना चाहिए और आगामी नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस सरकार के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

मुफ्ती ने कहा कि उनकी पार्टी एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा, “ मैं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व को उनकी शानदार जीत के लिए बधाई देती हूं। मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी बधाई देना चाहती हूं कि उन्होंने स्थिर सरकार के लिए वोट दिया, न कि त्रिशंकु विधानसभा के लिए, क्योंकि लोगों को पांच अगस्त 2019 के बाद कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन समस्याओं के समाधान के लिए एक स्थिर और मजबूत सरकार बहुत जरूरी है।”

माकपा उम्मीदवार मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कुलगाम सीट से लगातार पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीता। उन्होंने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के पूर्व सदस्य सयार अहमद रेशी को 7,800 से अधिक मतों से हराया।

तारिगामी ने कहा कि नतीजों से पता चलता है कि लोगों का वोट केंद्र सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ है।