अखिलेश ने मायावती का फोन कॉल उठाना बंद कर दिया था: इसलिए टूटा गठबंधन

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ: 12 सितंबर (ए) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने एक पुस्तिका में खुलासा किया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सीट कम होते के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उनका फोन उठाना बंद कर दिया था। पार्टी ने ‘बहुजन समाज पार्टी पुस्तिका’ जारी की है जिसे पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच बांटा जा रहा है।

इसमें पार्टी प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन टूटने के बारे में खुलासा किया है। मायावती ने इसमें कहा,‘‘भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिये वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा। लेकिन इस आम चुनाव के नतीजों में बसपा को 10 व सपा को पांच सीट पर जीत मिली। इससे दुखी होकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से किये गए टेलीफोन कॉल को उठाना बंद कर दिया। जिसकी वजह से पार्टी को अपने स्वाभिमान को बरकरार रखते हुय सपा से अलग होना पड़ा।’’बसपा प्रमुख मायावती ने यह जानकारी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिये जारी की गयी 59 पन्नों की एक पुस्तिका में लिखी है, जो उपचुनाव और आने वाले चुनावों के मद्देनजर पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में बांटी जा रही है।

पत्रकारों ने बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में जब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बसपा की इस पुस्तिका में फोन नहीं उठाने से जुड़े खुलासे के बारे में सवाल किया तो उन्होंने इसका जवाब दिया।

अखिलेश ने कहा, ‘‘जिस समय गठबंधन टूटा, उस समय मैं आजमगढ़ में एक सभा में मंच पर था। सपा-बसपा के कार्यकर्ता और नेता वहां मौजूद थे। किसी को नहीं पता था कि गठबंधन टूटने जा रहा है। मैंने खुद फोन मिलाया था (जाहिर तौर पर यह संकेत देते हुए कि उन्होंने बसपा प्रमुख को फोन किया था)। यह पूछने के लिये कि आखिरकार यह गठबंधन क्यों तोड़ा जा रहा है, क्योंकि प्रेस वाले जनसभा के बाद मुझसे पूछेंगे तो उन्हें मैं जवाब क्या दूंगा? कभी-कभी अपनी बातें छिपाने के लिये भी ऐसी बातें रखी जाती हैं।’’

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,” पार्टी ने 59 पन्नों की पुस्तिका छपवाई है। बहन जी (मायावती) द्वारा लिखित इस पुस्तिका को पार्टी कार्यकर्ताओं में बांटा जा रहा है। इसका मकसद ये है कि निचले स्तर तक पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं को पार्टी के रुख और नीति के बारे में जानकारी दी जा सके।”

उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता पुस्तिका में लिखी बातों से आम लोगों और मतदाताओं को जागरूक कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि बहन जी का मकसद अपने कैडर वोट दलित और पिछड़ों को यह समझाना है कि बाकी पार्टियां उनके वोट लेने के लिए छलावा करती रही हैं और केवल बसपा ही उनकी सच्ची हितैषी है।

मायावती ने ‘पुस्तिका’ के जरिए कार्यकर्ताओं से जुड़ने की पहल ऐसे समय में की है, जब कई चुनावी झटकों का सामना करने के बाद बसपा उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है।

उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव, जिनकी तिथि अभी घोषित नहीं की गई है, राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होंगे।

यह पुस्तिका सबसे पहले 27 अगस्त को लखनऊ में आयोजित बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं को वितरित की गई थी, जहां मायावती को लगातार छठी बार सर्वसम्मति से पार्टी प्रमुख चुना गया था।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में पुस्तिका में मायावती ने कहा है,”इस बार इन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करके व संविधान व आरक्षण को बचाने की आड़ में पीडीए (पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक) के लोगों को गुमराह करके काफी कुछ सफलता जरूर हासिल की है, लेकिन इससे पीडीए के लोगों को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। ऐसे में अब इनको सपा से सावधान जरूर रहना होगा। ”उन्होंने कहा था कि सपा में एक जाति विशेष को छोड़कर बाकी पीडीए के लिए कोई जगह नहीं है, ब्राह्मण समाज की तो बिल्कुल नहीं। मायावती ने लिखा कि सपा और भाजपा सरकार में ब्राह्मण समाज का उत्पीड़न किया गया और उनकी उपेक्षा की गई, जो किसी से छिपा नहीं है।

मायावती ने 1993 के गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा,” उस समय सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम से यह कहकर गठबंधन किया था कि कांग्रेस और भाजपा जैसी जातिवादी पार्टियां नहीं चाहतीं कि दलित और पिछड़ा वर्ग मिलकर बड़ी राजनीतिक ताकत बन जाएं। और फिर वे केंद्र व राज्यों की सत्ता में काबिज हो जायें। ऐसे में ये सभी जातिवादी पार्टियां सपा व बसपा के गठबंधन को बनने से रोकने के लिए सभी हथकंडे अपनाएंगी।”उन्होंने कहा कि इस गठबंधन के बारे में शुरू से यही कहा जा रहा था कि मुलायम यादव की दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी और आपराधिक सोच होने की वजह से यह ज्यादा नहीं चलेगा।

इस पुस्तिका में मायावती ने दो जून, 1995 के कुख्यात ‘गेस्ट हाउस’ कांड का भी जिक्र किया है जब वह अपने ऊपर किये गए प्राण घातक हमले में बाल-बाल बच गईं। मायावती ने इस हमले और तोड़फोड़ के लिए तत्कालीन सपा नेतृत्व को दोषी ठहराया।

1995 में अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेता थे।

मायावती ने पुस्तिका में कहा, ‘‘हत्या के प्रयास से बचने के बाद बसपा ने समाजवादी पार्टी की विरोधी पार्टियों की मदद से अपनी पहली सरकार बनाई। इसके बाद बसपा ने सपा से दूरी बनाए रखी। लेकिन जब अखिलेश यादव गठबंधन की पेशकश के साथ आए, तो दोनों दल चुनाव पूर्व गठजोड़ करने पर राजी हो गए।’’