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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आप नेता संजय सिंह की सजा पर रोक लगाई

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लखनऊ: 22 अगस्त (ए) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को 2001 के सड़क-विरोध प्रदर्शन मामले में सुलतानपुर की सांसद/विधायक अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के क्रियान्वयन पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी।

विशेष अदालत ने पिछले साल 11 जनवरी को सिंह को 2001 में उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर सुल्तानपुर जिले में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने और सार्वजनिक सड़क पर बाधा उत्पन्न करने के आरोप में तीन महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और उन पर 1,500 रुपये का जुर्माना लगाया था।इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को एक तत्काल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सिंह को अपनी जमानत याचिका पर आदेश आने तक सुलतानपुर अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने की आवश्यकता नहीं है, जिस पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होनी थी।

संजय सिंह और पांच अन्य को सुलतानपुर की सांसद/विधायक अदालत ने 11 जनवरी, 2023 को इस मामले में दोषी ठहराया था और इस साल छह अगस्त को सत्र अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी थी।

सुलतानपुर की सांसद/विधायक अदालत ने 13 अगस्त को सिंह, समाजवादी पार्टी के नेता अनूप संडा और चार अन्य के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।

न्यायमूर्ति के एस पवार की पीठ ने सिंह द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर बृहस्पतिवार को यह आदेश पारित किया।

पीठ ने याचिका को अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘इस न्यायालय के अगले आदेश तक, निर्णय द्वारा दी गई सजा और पुनरीक्षण के तहत आदेशों का निष्पादन स्थगित रहेगा।’’

पीठ ने कहा कि पुनरीक्षणकर्ता – सिंह – को विशेष अदालत की संतुष्टि के लिए 50,000 रुपये का निजी मुचलका भरना होगा, इस वचन के साथ कि जब पुनरीक्षण याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगी तो वह या उनका वकील अदालत के समक्ष उपस्थित होंगे।

आदेश पारित करते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ प्रथम दृष्टया, भारतीय दंड संहिता की धारा 143 और 341 के तत्व गायब हैं और दोनों निचली अदालतों के फैसले विरोधाभासी हैं।’’

विशेष अदालत ने सिंह को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143 (गैरकानूनी सभा का सदस्य होना) और 341 (किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकना) के तहत दोषी ठहराया था।

उच्च न्यायालय में सिंह का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ वकील और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता एस सी मिश्रा ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही ने अभियोजन पक्ष के मामले को गलत साबित कर दिया है।

मिश्रा ने कहा, ‘‘ राजनीतिक प्रतिशोध के कारण सिंह को कुछ अन्य आपराधिक मामलों में भी झूठे तरीके से फंसाया गया है।’’

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