लखनऊ/संभल (उप्र): 30 नवंबर (ए) संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर लगाई गई रोक को 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया है।
जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा की अवधि भी एक दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है।जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसीया ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘कोई भी बाहरी व्यक्ति, कोई सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जनपद की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना 10 दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा।’
जिला मजिस्ट्रेट ने आदेश में कहा, “कोई भी व्यक्ति यदि सोशल मीडिया पर किसी समूह में अफवाह फैलाने का प्रयास करता है तो ‘ग्रुप एडमिन’ उक्त पोस्ट हटाकर तत्काल इसकी सूचना पुलिस को देगा। जिले में साइबर कैफे एक रजिस्टर रखेंगे जिसमें प्रत्येक ग्राहक के नाम लिखे जाएंगे। संभल में कोई भी सार्वजनिक स्थल पर पुतला नहीं फूंकेगा।’’
यह कदम इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल हिंसा के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए शनिवार को संभल का दौरा करने वाला था।
मुजफ्फरनगर से सपा के सांसद हरेन्द्र मलिक को गाजियाबाद से संभल आने से रोक दिया गया।
मलिक ने कहा, ‘‘मेरी समझ में यह नहीं आता कि हमें क्यों रोका जा रहा है। क्या विपक्ष के नेता, सांसद इतने गैर जिम्मेदार हैं कि उन्हें राज्य के भीतर घूमने नहीं दिया जा सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रतिनिधिमंडल में संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और कैराना से इकरा हसन भी शामिल हैं। हम क्या कर सकते हैं। यह सरकार एक निरंकुश शासक की तरह काम कर रही है।’’
वहीं, मुरादाबाद से सपा सांसद रुचि वीरा के आवास की पुलिस ने घेराबंदी कर दी है।
इस बीच, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। अगर सरकार ऐसा प्रतिबंध उन लोगों पर पहले ही लगा देती जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द एवं शांति का माहौल नहीं बिगड़ता।”
अखिलेश ने कहा, “भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देती है, वैसे ही उसे संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासन मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए सच्ची कार्रवाई करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए।”समाजवादी पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए बनाए गए सपा प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के घरों पर सरकार द्वारा पुलिस तैनात कर उन्हें संभल जाने से रोकने की घटना घोर निंदनीय एवं अलोकतांत्रिक है। भाजपा सरकार संभल हिंसा का सच छिपा रही है। सपा प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की अनुमति मिले।’’
सपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने शुक्रवार को कहा था कि विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय की नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर शनिवार को संभल जाएगा और वहां हुई हिंसा की विस्तृत जानकारी लेकर रिपोर्ट पार्टी प्रमुख को सौंपेगा।कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने ‘ बताया कि संभल मामले की जानकारी हासिल करने के लिए कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल दो दिसंबर को वहां जाएगा।
इस बीच, माता प्रसाद पांडेय ने लखनऊ में अपने आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘गृह सचिव संजय प्रसाद ने मुझे फोन कर संभल नहीं जाने का अनुरोध किया था। संभल के जिला मजिस्ट्रेट ने भी मुझे फोन कर बताया कि जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक 10 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी गई है इसलिए मैं अब पार्टी कार्यालय जाऊंगा और इस मुद्दे पर चर्चा करूंगा।’’
पांडेय ने कहा, ‘‘यह सरकार संभल में शायद अपनी गलतियों को छिपाने के लिए मुझे रोकना चाहती है क्योंकि हमारे दौरे से कई गलतियां सामने आ जाएंगी।’’
पांडेय के आवास के बाहर शुक्रवार रात से ही भारी सुरक्षा लगाई गई है।
संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गये सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति पैदा हो गई। अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था।
इसके बाद 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण किये जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गयी थी तथा 25 अन्य घायल हो गये थे।