ढाका: 10 अगस्त (ए) बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने शेख हसीना सरकार के पतन के पांच दिन बाद छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।प्रधान न्यायाधीश (65) ने अपना निर्णय दोपहर करीब एक बजे उस समय घोषित किया, जब भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के प्रदर्शनकारी अदालत परिसर में एकत्र हुए।प्रदर्शनकारी छात्रों ने हसन और अपीलीय डिवीजन के न्यायाधीशों को दोपहर एक बजे तक इस्तीफा देने का समय दिया था।
नवगठित अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार प्रोफेसर आसिफ नजरुल ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपको एक खास खबर बताना जरूरी है। हमारे प्रधान न्यायाधीश ने कुछ मिनट पहले ही इस्तीफा दे दिया है। उनका त्यागपत्र कानून मंत्रालय को प्राप्त हो चुका है।’’
नजरुल ने कहा कि त्यागपत्र राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को ‘‘आवश्यक कदम उठाने के लिए बिना किसी देरी के’’ भेजा जाएगा और उन्हें उम्मीद है कि यह प्रक्रिया बहुत जल्द पूरी हो जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें केवल प्रधान न्यायाधीश का त्यागपत्र मिला है। अन्य के (इस्तीफे) के बारे में कोई अद्यतन सूचना नहीं है।’’
भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयकों में से एक हसनत अब्दुल्ला ने सुबह 11 बजे प्रधान न्यायाधीश और अपीलीय डिवीजन के न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग करते हुए उन्हें इसके लिए दोपहर एक बजे तक का समय दिया था।
इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश हसन ने उच्चतम न्यायालय के दोनों डिविजन के सभी न्यायाधीशों के साथ पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई थी। हालांकि, प्रदर्शनकारी छात्रों ने पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाने को ‘‘न्यायिक तख्तापलट’’ के रूप में देखा और उच्च न्यायालय परिसर की घेराबंदी की घोषणा की।
छात्रों के विरोध के मद्देनजर, प्रधान न्यायाधीश हसन ने बैठक स्थगित कर दी और बाद में कहा कि वह पद से इस्तीफा दे देंगे।
सैकड़ों प्रदर्शनकारी छात्रों के एकत्र होने के कारण बांग्लादेशी सेना के जवानों को उच्चतम न्यायालय परिसर में तैनात किया गया।
प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय परिसर में पत्रकारों को बताया कि उन्होंने बदलती परिस्थितियों के बीच देश भर में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और निचली अदालतों के न्यायाधीशों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है।