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मोबाइल ढूंढने के लिए शिक्षिका ने छात्राओं के कपड़े उतरवाया,मामला दर्ज

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इंदौर (मध्यप्रदेश): 16 अगस्त (ए) इंदौर के एक सरकारी विद्यालय की कक्षा में मोबाइल फोन की घंटी बजने पर इस उपकरण को ढूंढने के लिए नाबालिग छात्राओं के कथित रूप से कपड़े उतरवाने की घटना के 13 दिन बाद एक शिक्षिका पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि पालकों ने मल्हारगंज पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि एक शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की कक्षा में दो अगस्त को मोबाइल फोन की घंटी बजने पर एक शिक्षिका ने इस उपकरण को ढूंढने के लिए कम से कम पांच छात्राओं को शौचालय में ले जाकर कथित तौर पर उनके कपड़े उतरवाए और उनकी तलाशी ली।मल्हारगंज पुलिस थाने के प्रभारी शिव कुमार रघुवंशी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि शिक्षिका ने मोबाइल ढूंढने के लिए नाबालिग छात्राओं के कथित तौर पर कपड़े उतरवाकर उन्हें ‘‘मानसिक रूप से प्रताड़ित’’ किया।

उन्होंने बताया कि शिक्षिका के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 (महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और धारा 79 (महिला की गरिमा के अपमान की नीयत से किया गया कृत्य) के साथ ही किशोर न्याय (बच्चों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 (बच्चों के प्रति क्रूरता) के तहत बृहस्पतिवार रात मामला दर्ज किया गया।

रघुवंशी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने पीड़ित छात्राओं, उनके परिजनों और सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के बयान दर्ज किए।

उन्होंने कहा कि जांच के दौरान पाया गया कि घटना के पीछे शिक्षिका का कोई ‘‘यौन इरादा’’ नहीं था, इसलिए शिक्षिका के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम नहीं जोड़ा गया।

घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र द्वारा दायर जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने राज्य सरकार को नौ अगस्त को नोटिस जारी किया था। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देशित किया था कि वह हफ्ते भर के भीतर रिपोर्ट पेश करे कि इस मामले में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद क्या कार्रवाई की गई है?

जनहित याचिका में गुहार की गई है कि मोबाइल ढूंढने के लिए नाबालिग छात्राओं के कथित रूप से कपड़े उतरवाने के मामले में पॉक्सो अधिनियम का पालन सुनिश्चित कराया जाए और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

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