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पीएमओ अधिकारी बनकर छल: सीबीआई ने शख्स के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया

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नयी दिल्ली, सात जनवरी (ए)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का उच्च पदस्थ अधिकारी बताकर छल करने के मामले में अहमदाबाद के मयंक तिवारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

तिवारी ने खुद को पीएमओ का अधिकारी बताकर एक कानूनी विवाद के तहत इंदौर के एक अस्पताल पर नेत्र अस्पताल श्रंखला को 16 करोड़ रुपये से अधिक लौटने के मामले में दबाव डाला था।करीब तीन महीने की जांच के बाद, सीबीआई ने यहां एक विशेष सीबीआई अदालत में मामले में पहला आरोपपत्र दाखिल किया। अक्टूबर में एजेंसी ने अहमदाबाद और इंदौर समेत कई स्थानों पर तलाशी ली थी, इस दौरान कई दस्तावेज जब्त किए गए थे।

आरोपपत्र के मुताबिक तिवारी ने अपने मोबाइल फोन से कॉल कर और संदेश भेजकर डॉ. अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल के प्रवर्तकों से इंदौर के एक अस्पताल के साथ विवाद सुलझाने के लिए कहा था। इंदौर के अस्पताल को अस्पताल श्रृंखला को कथित तौर पर 16 करोड़ रुपये लौटाने थे।

अधिकारियों ने बताया, आरोप है कि डॉ. अग्रवाल्स ने इंदौर स्थित अस्पताल के संचालक दो डॉक्टरों के साथ ‘फ्रेंचाइजी’ में शामिल होने के लिए एक समझौता किया था, जिसके लिए 16 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था।

उन्होंने बताया कि इंदौर के अस्पताल ने समझौते की शर्तों का कथित तौर पर उल्लंघन करना शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप विवाद हुआ और डॉ. अग्रवाल्स के प्रवर्तक अपने पैसे वापस चाहते थे और समझौते को समाप्त करना चाहते थे।

मामला उच्च न्यायालय में गया जिसने बातचीत के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया। मध्यस्थ ने अंतरिम आदेश में इंदौर के अस्पताल को चार सप्ताह के भीतर 16.43 करोड़ रुपये जमा करने को कहा।

विवाद के दौरान डॉ. अग्रवाल्स के प्रवर्तकों को कथित तौर पर तिवारी की ओर से बकाया राशि भूलने और इंदौर अस्पताल चलाने वाले डॉक्टरों के साथ मामले को सुलझाने के लिए संदेश और कॉल आने लगे।

जब पीएमओ को इसकी जानकारी हुई तो उसने तुरंत सीबीआई को इस कथित पीएमओ अधिकारी की जांच करने को कहा।

पीएमओ ने सीबीआई को एक शिकायत में कहा था, ‘‘प्रथम दृष्टया, यह पीएमओ अधिकारी के नाम पर छल करने का मामला है, क्योंकि न तो यह व्यक्ति और न ही ऐसा कोई पद पीएमओ में है, जिस पद पर वह स्वयं को बता रहा है।’’

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