स्कूली छात्रों के स्मार्टफोन उपयोग करने पर पूरी तरह प्रतिबंध अवांछनीय: अदालत

राष्ट्रीय
Spread the love

नयी दिल्ली: तीन मार्च (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल में कहा कि स्कूली छात्रों के स्मार्टफोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध एक ‘अवांछनीय और अव्यावहारिक’ दृष्टिकोण है और इसे विनियमित किया जाना चाहिए तथा निगरानी रखी जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने दिशा-निर्देश जारी किए जो स्कूली छात्रों को स्मार्टफोन के उपयोग की अनुमति देने के लाभकारी और हानिकारक प्रभावों को संतुलित करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में काम करेंगे।न्यायालय ने कहा कि स्कूलों को छात्रों को जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार, डिजिटल शिष्टाचार और स्मार्टफोन के नैतिक उपयोग के बारे में शिक्षित करना चाहिए।न्यायालय ने कहा कि छात्रों को यह भी सलाह दी जानी चाहिए कि स्क्रीन-टाइम और सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने से चिंतित रहने, एकाग्रता कम होने और इंटरनेट पर डराने धमकाने की घटनाएं हो सकती हैं।

न्यायाधीश ने 28 फरवरी को पारित आदेश में कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के उपयोग के संबंध में पिछले वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है, जिसमें शैक्षिक और अन्य संबंधित उद्देश्य शामिल हैं…इसलिए, स्कूल जाने वाले छात्रों के स्मार्टफोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना एक अवांछनीय और अव्यावहारिक दृष्टिकोण है।’’

अदालत ने कहा कि स्मार्टफोन के अंधाधुंध उपयोग या दुरुपयोग के हानिकारक प्रभावों को अलग रख दें तो ये उपकरण माता-पिता और बच्चों के बीच समन्वय में मदद करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने सहित लाभकारी उद्देश्यों की भी पूर्ति करते हैं।

उसने कहा, ‘‘नीतिगत मामले के अनुसार छात्रों को स्कूल में स्मार्टफोन ले जाने से नहीं रोका जाना चाहिए, लेकिन स्कूल में स्मार्टफोन के उपयोग को विनियमित किया जाना चाहिए और निगरानी रखी जानी चाहिए।’’

अदालत ने कहा कि जहां भी स्मार्टफोन सुरक्षित तरीके से जमा करने की व्यवस्था करना संभव हो, छात्रों को स्कूल में प्रवेश करने पर इन्हें जमा करने और घर लौटते समय वापस लेना चाहिए।

अदालत के अनुसार, ‘‘स्मार्टफोन से कक्षा में पढ़ाई, अनुशासन या समग्र शैक्षणिक माहौल में बाधा नहीं आनी चाहिए। इसके लिए कक्षा में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जानी चाहिए। स्कूल के सामान्य क्षेत्रों के साथ-साथ स्कूल के वाहनों में भी स्मार्टफोन पर कैमरे और रिकॉर्डिंग सुविधा का इस्तेमाल प्रतिबंधित होना चाहिए।’’

उसने कहा कि सुरक्षा और समन्वय के उद्देश्य से संपर्क के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए, लेकिन मनोरंजन के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होनी चाहिए।

अदालत में यह मामला एक नाबालिग छात्र से संबंधित था, जिसे स्कूल में स्मार्टफोन का कथित रूप से दुरुपयोग करने के कारण परिणाम भुगतने पड़े। यह याचिका केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे द्वारा दायर की गई थी।

इस मुद्दे पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने 2009 में कुछ दिशानिर्देश बनाए थे, लेकिन अदालत ने पाया कि वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुए।