अदालत ने दो व्यक्तियों को नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आराप से किया बरी

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: पांच अप्रैल (ए) दिल्ली की एक अदालत ने 17 वर्षीय नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी दो लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मुनीश गर्ग ने दो महिलाओं को भी आपराधिक रूप से धमकाने, जबरन घर में घुसने और लड़की को जानबूझकर चोट पहुंचाने के आरोप से बरी कर दिया।अदालत ने कहा कि कथित पीड़िता और उसकी मां अपने बयान से पलट गईं। अदालत ने अभियोजन पक्ष के मामले को पूरी तरह से नकार दिया।

अदालत के 25 फरवरी के आदेश की प्रमाणित प्रति 10 मार्च को उपलब्ध कराई गई। उसमें कहा गया है कि मुख्य गवाहों– नाबालिग और मां ने आरोपियों के साथ (नाबालिग की मां) तीखी नोकझोंक के बारे में बयान दिया था, जिसके बाद कथित घटना की तारीख पर कुछ पुलिस अधिकारियों को बुलाया गया था।

अदालत ने कहा, ‘‘हालांकि, जहां तक ​​घर में जबरन घुसने, यौन उत्पीड़न, मारपीट और आपराधिक धमकी के आरोपों का सवाल है, तो किसी भी महत्वपूर्ण गवाह (नाबालिग और उसकी मां) ने आरोपियों के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा।’’

अदालत ने कहा कि लड़की ने तो आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया था लेकिन शिकायत में उसका बयान उसके एनजीओ के एक व्यक्ति द्वारा लिखा गया था, जिस पर उसने अनजाने में हस्ताक्षर कर दिए थे।

अदालत ने कहा कि आरोपी नाबालिग के रिश्तेदार थे और संयुक्त परिवार के तौर पर उसी इमारत में रहते थे। उसने कहा कि उनके बीच पारिवारिक विवाद था।

अदालत ने कहा कि जिरह के दौरान लड़की ने इस बात से इनकार किया कि उसे पीटा गया, धमकाया गया या उसका यौन उत्पीड़न किया गया।

चारों आरोपियों को बरी करते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को उचित संदेह से परे जाकर साबित करने की बुनियादी परीक्षा में विफल रहा है।

शिकायत के अनुसार, मई 2019 में, दो लोग लड़की के कमरे में घुस आए थे जब वह नहाने जा रही थी। दोनों ने उसके सिर पर पिस्तौल रख दी, उसे चाकू दिखाकर धमकाया, जबरन उसके कपड़े उतारे, उसका निर्वस्त्र वीडियो बनाया और वीडियो वायरल करने की धमकी दी।