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हत्या के आरोपी को अंतरिम जमानत देने से अदालत का इनकार, विश्वविद्यालय में प्रवेश पर सवाल उठाया

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नयी दिल्ली, 23 नवंबर (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने हत्या के एक आरोपी को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसने इस आधार पर राहत देने का अनुरोध किया था कि उसे पीएचडी के लिए गुजरात विश्वविद्यालय परिसर में नियमित कक्षाओं में भाग लेना होगा।.

उच्च न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन यहां 23 वर्षीय याचिकाकर्ता हत्या जैसे गंभीर अपराध का आरोपी है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसके मामले में तदनुसार निपटा जाना चाहिए।.न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि अदालत यह नहीं समझ पा रही कि न्यायिक हिरासत में होने के बावजूद याचिकाकर्ता ने ऐसे विश्वविद्यालय से पीएचडी करने का विकल्प क्यों चुना, जिसके लिए पूर्णकालिक पाठ्यक्रम में शामिल लेना आवश्यक है।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता हत्या के मामले में आरोपी है और मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है। उसने कहा, ‘…तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत देने से मुकदमे की सुनवाई में बाधा आएगी। याचिकाकर्ता हत्या के मामले में आरोपी है।’’

उसने कहा, ‘मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए इस स्तर पर अंतरिम जमानत का कोई आधार नहीं बनता है। इसलिए वर्तमान याचिका खारिज की जाती है।’

याचिकाकर्ता ने अदालत से इस आधार पर तीन माह की जमानत देने का अनुरोध किया है कि उसे अपनी पीएचडी के लिए नियमित कक्षाओं में भाग लेना होगा और उसका सत्र 13 सितंबर से शुरू हो चुका है। यदि वह कक्षा में भाग नहीं लेता है तो उसके प्रवेश को रद्द कर दिया जाएगा।

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