नयी दिल्ली: 28 दिसंबर (ए) दिल्ली की एक अदालत ने अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और उसकी सहमति के बिना गर्भपात कराने के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि उसके खिलाफ आरोप “बेहद गंभीर” हैं।
न्यायाधीश सुनील कुमार आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध), 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराना) और 498 ए (पति या उसके रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।अदालत ने 26 दिसंबर को दिए आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता द्वारा गर्भपात कराने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के बेहद गंभीर आरोप हैं और ये आरोप शिकायतकर्ता के बयान से पूरी तरह स्पष्ट हैं। इसलिए, वर्तमान जमानत याचिका को स्वीकार करने का कोई आधार नहीं है।”सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पीड़िता के चेहरे पर बीयर की बोतल फेंककर और उसके शरीर को सिगरेट से दागकर उसे चोट पहुंचाई।
अतिरिक्त लोक अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि आरोपी ने घरेलू क्रूरता के अलावा, आईपीसी की धारा 377 और 313 के तहत अपराध किए हैं।
प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िता ने सितंबर 2021 में आरोपी से शादी की, जिसके बाद उसने उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए और दहेज की भी मांग की।
प्राथमिकी में कहा गया है कि जनवरी 2022 में उसने जबरन उसका गर्भपात करा दिया और पीड़िता के शरीर को जलती हुई सिगरेट से दागकर क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं।