मुंबई: छह मार्च (ए) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटकों से भरी कार खड़ी करते समय और व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश रचते समय आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहा था।
न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल और न्यायमूर्ति एस एम मोदक की खंडपीठ ने कहा कि इसलिए उसकी गिरफ्तारी से पहले राज्य सरकार से मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी।पीठ ने वाजे द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि उसे मामले में अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था क्योंकि उसे गिरफ्तार करने से पहले उचित मंजूरी नहीं ली गई थी, और उसे तुरंत रिहा करने की मांग की गई थी।
वाजे ने दावा किया कि चूंकि वह मामले की जांच कर रहे अधिकारियों में से एक था, इसलिए गिरफ्तारी से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेना जरूरी था क्योंकि वह आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा था।
हालांकि, उच्च न्यायालय की पीठ ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
पीठ ने कहा, “किसी भी तरह से यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता (वाजे) अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए तब काम कर रहा था, जब उसने कारमाइकल रोड पर वाहन खड़ा किया और जब वह साजिश में शामिल हुआ और मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश को अंजाम दिया ।”
अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को वाजे को गिरफ्तार करने से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
इसने वाजे के इस दावे को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि बाद में अधीनस्थ अदालत द्वारा पारित रिमांड आदेश अवैध थे।
पच्चीस फरवरी 2021 को दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास विस्फोटकों से लदी एक एसयूवी कार मिली थी।
एसयूवी के मालिक व्यवसायी हिरेन पांच मार्च 2021 को पड़ोसी ठाणे में एक खाड़ी में मृत पाए गए थे।
दोनों मामलों में कथित भूमिका के लिए वाजे को मार्च 2021 में गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वाजे ने हिरेन को विस्फोटकों से लदे वाहन को खड़ा करने की जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन जब उसने इनकार कर दिया, तो वाजे ने अन्य लोगों के साथ मिलकर उसकी हत्या की साजिश रची।