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कोर्ट का फर्जी आदेश बनाकर चार आरोपियों को रिहा करने के मामले में पांच लोगों को सजा

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आगरा: 14 अगस्त (ए) उत्तर प्रदेश में आगरा की एक अदालत ने फर्जी आदेश के जरिये चार आरोपियों को जमानत देकर रिहा कराने के मामले में आरोपी लिपिक सहित पांच लोगों को पांच वर्ष कारावास और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

अदालत ने साथ ही पुराने मुकदमे को भी नये सिरे से शुरू करने का आदेश दिया है।न्यू आगरा थाने में दर्ज मुकदमे के अनुसार, पीड़ित ने आरोप लगाया कि ताजगंज थाने के पथौली के रहने वाले उनके रिश्तेदार अशोक, उनकी पत्नी मीरा देवी, लवकेश, आशा देवी और फूल सिंह उसके प्लॉट पर जबरन कब्जा करना चाहते थे।

प्राथमिकी के मुताबिक, उक्त व्यक्तियों ने पीड़ित की मां के साथ मारपीट कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था, जिसके संबंध में वर्ष 2004 में सभी के खिलाफ मारपीट, धारदार हथियार से चोट पहुंचाने, गाली गलौज एवं जान से मारने की धमकी देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।

पीड़ित ने आरोप लगाया कि सजा का अंदेशा होने पर उसके रिश्तेदारों ने अदालत के लिपिक पवन अग्रवाल से मिलकर फर्जी जमानत कागज तैयार करा लिये।

पीड़ित को जब आरोपियों के बरी होने की जानकारी हुई तो उसने अदालत में तहकीकात की और इस जालसाजी की जिला न्यायाधीश से शिकायत की।

तत्कालीन न्यायाधीश ने मामले में लिपिक पवन अग्रवाल की संलिप्तता पाये जाने पर उसे बर्खास्त कर दिया।

अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों को दोषी पाते हुए पांच वर्ष कैद और 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

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