उत्तर प्रदेश के 11 जिलों में बाढ़ का कहर, वर्षाजनित हादसों में चार लोगों की मौत

राष्ट्रीय
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लखनऊ, 16 जुलाई (ए) उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में पिछले कई दिनों से जारी वर्षा और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण राज्य के 11 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। वहीं, राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान वर्षाजनित हादसों में चार लोगों की मौत हुई है।.

राहत आयुक्त कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के 11 जिलों की 17 तहसीलों में स्थित 386 गांव बाढ़ की चपेट में है और कुल 78,693 लोग सैलाब से प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा 61,490 लोग मुजफ्फरनगर में प्रभावित हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 4,242 लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है।.रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य में वर्षा जनित हादसों में चार लोगों की मौत हुई है जिनमें फर्रुखाबाद, बलरामपुर, कानपुर नगर और बागपत में एक-एक व्यक्ति शामिल है

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ के मद्देनजर राज्य के सभी सांसदों महापौरों, स्थानीय पार्षदों एवं नगर आयुक्तों को अपने-अपने क्षेत्रों के रेगुलेटरों (नालों व बांध पर जल प्रवाह नियंत्रित करते हैं) का निरीक्षण करने के आदेश देते हुए कहा है कि बाढ़ से संबंधित जो भी निरोधात्मक कार्य किए जाने हैं, उनको प्रभावी ढंग से समय से सम्पन्न कराया जाए। इसमें किसी प्रकार की शिकायत ना आने पाए।

राहत आयुक्त कार्यालय से मिली रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी कछला ब्रिज (बदायूं) में और यमुना नदी प्रयाग घाट (मथुरा) में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इसके अलावा गंगा का जलस्तर नरौरा (बुलंदशहर) और फर्रुखाबाद में खतरे के ‘लाल’ निशान के नजदीक पहुंच गया है।

इस बीच, इटावा से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोडे गए पानी के कारण यमुना नदी में आई बाढ़ का पानी दिल्ली मथुरा और आगरा होते हुए इटावा की तरफ बढ़ रहा है। इटावा में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है।

अपर जिलाधिकारी अभिनव श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में यमुना नदी किनारे बसे गांवों के लोगों को सतर्क कर दिया गया है। प्रशासन बाढ़ की स्थिति पर नजर बनाए हुए और यमुना के बढ़ते जलस्तर की हर घंटे निगरानी की जा रही है।

दिल्ली में कहर बरपाने के बाद यमुना ने अब उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में भी अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। नदी के तटवर्ती आठ गांव बाढ़ से घिर गए हैं। ग्रामीणों को वहां से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की दो टीम तैनात की गई है।

जिलाधिकारी पुलकित खरे ने बताया कि पिछले दिनों ऊपरी इलाकों में हुई लगातार वर्षा के चलते यमुना के जलस्तर में वृद्धि लगातार जारी है। रविवार दोपहर में मथुरा का जलस्तर खतरे के निशान से 72 सेमी ऊपर रहा।

उन्होंने बताया कि जिले में यमुना 116 गांवों के निकट से होकर गुजरती है और इन गांवों पर भी बाढ़ का खतरा मंडरा गया है। जिलाधिकारी के मुताबिक इनमें से नौहझील क्षेत्र के आठ गांव सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। उन गांवों में यमुना का पानी काफी अंदर तक पहुंच गया है।

उन्होंने ने बताया कि बाढ़ में फंसे हुए लोगों को आसपास के ऊंचाई वाले स्थानों और स्कूलों आदि सार्वजनिक भवनों में आश्रय दिया गया है। रविवार को ही करीब 400 लोगों को शरण स्थलों पर पहुंचाया गया है।

खरे ने बताया कि मथुरा तथा वृन्दावन के घाटों पर भी पानी ऊपर तक आ गया है। इसलिए यमुना किनारे घाटों व अन्य क्षेत्रों में मुनादी कराई जा रही है और अपील की जा रही है कि जलस्तर सामान्य होने तक वहां न जाएं, क्योंकि पैर फिसल जाने से कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है।

यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ ने आगरा शहर में भी दस्तक दे दी है। यमुना के किनारे स्थित प्राचीन काली मंदिर और रेलवे अंडरपास में जलभराव शुरू हो गया है। यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण पानी अब शहर में घुसने लगा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाढ़ के कारण मथुरा गोकुल बैराज से एक लाख 16 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। पहले ही यमुना में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा था और अब यह और बढ़ गया है। ताजगंज मोक्षधाम में अब विद्युत शव दाह की व्यवस्था ही बची हुई है। लकड़ी से अंतिम संस्कार वाली जगह पर पानी भर गया है।

मौसम केंद्र, लखनऊ के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर जबकि पश्चिमी भागों में कुछ जगहों पर बारिश हुई।

इस दौरान कन्नौज और रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) में 10-10 सेंटीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा बलिया और चोपन (सोनभद्र) में नौ-नौ, गायघाट (बलिया) में आठ, बलरामपुर, भिनगा (श्रावस्ती), चुर्क (सोनभद्र), अंकिन घाट (कानपुर देहात) और कासगंज में सात-सात, कानपुर और मऊरानीपुर (झांसी) में छह-छह सेंटीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।

अगले 24 घंटों के दौरान राज्य के अनेक हिस्सों में बारिश होने अथवा गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।