नयी दिल्ली: 16 अप्रैल (ए) उच्चतम न्यायालय ने 2023 के कानून के तहत मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 14 मई की तारीख तय की।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने बुधवार को अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से मामले की तत्काल सुनवाई का आग्रह किए जाने के बाद यह तारीख तय की।नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से पेश अधिवक्ता भूषण ने कहा कि यह मुद्दा 2023 के संविधान पीठ के फैसले के अंतर्गत आता है।न्यायमूर्ति कांत ने भूषण से कहा कि न्यायालय उक्त तिथि को एक विशेष पीठ के मामले को रद्द करके 14 मई को इस मामले की सुनवाई करेगा।
भूषण ने कहा कि हालांकि यह मामला पीठ के कार्यदिवस में सूचीबद्ध है, फिर भी वह न्यायालय से इस पर पहले गौर करने का आग्रह करते हैं।
इससे पहले 19 मार्च को न्यायालय ने 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तारीख तय की थी।
याचिकाकर्ता एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश भूषण ने कहा कि इस मामले में एक छोटा कानूनी प्रश्न यह है कि क्या प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश की भागीदारी वाले पैनल के माध्यम से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी 2023 के संविधान पीठ के फैसले का पालन किया जाना चाहिए या 2023 के कानून का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें प्रधान न्यायाधीश को पैनल से बाहर रखा गया है।
भूषण ने कहा कि सरकार 2023 के कानून के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करके ‘‘लोकतंत्र का मजाक उड़ा रही हैं।’’
सरकार ने 17 फरवरी को चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था।
कुमार नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं और उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा। उनके कार्यकाल की समाप्ति के कुछ दिन बाद निर्वाचन आयोग अगले लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित करेगा।
हरियाणा कैडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। जोशी 2031 तक चुनाव आयोग में सेवाएं देंगे।
शीर्ष अदालत ने 15 मार्च 2024 को 2023 के कानून के तहत नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसमें प्रधान न्यायाधीश को चयन पैनल से बाहर रखा गया था। न्यायालय ने साथ ही, नियुक्तियों के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी थी।