नयी दिल्ली,24 दिसंबर( ए )। दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया गया कि गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को एक ऐसी नीति लाने की सलाह दी है जो विदेशों में लिंग परिवर्तन कराने वाले लोगों को बगैर परेशानी के नया पासपोर्ट हासिल करने में सक्षम बनाए क्योंकि इस तरह की मेडिकल प्रक्रियाओं के बाद ‘बायोमेट्रिक्स’ नहीं बदलता है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के भारतीय नागरिकों की पहचान का सत्यापन बायोमेट्रिक रिकॉर्ड के जरिये किया जा सकता है, जो प्राधिकारों के पास पहले से उपलब्ध है।विदेश मंत्रालय का कहना है कि नीति लाने से पहले उसे विभिन्न हितधारकों से सुझाव प्राप्त करने और इसकी तकनीकी व्यवहार्यता की जांच करने के लिए समय चाहिए।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने विषय को 19 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है।
उच्च न्यायालय एक ट्रांसजेंडर महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिन्होंने उच्च न्यायालय का रुख कर प्राधिकारों को उनके नये नाम और लैंगिक पहचान जैसे संशोधित विवरणों के साथ पासपोर्ट जारी करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है क्योंकि लिंग परिवर्तन कराने की सर्जरी के बाद उनका हुलिया बदल गया है।
याचिकाकर्ता ने एक नये नाम और लैंगिक पहचान के साथ अपना पासपोर्ट फिर से जारी करने के लिए इस साल 18 जनवरी को भारतीय अधिकारियों को एक आवेदन दिया था, लेकिन बदलाव होने में छह महीने लग गए।