नयी दिल्ली, 18 नवंबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों को बदनाम करने की “प्रवृत्ति” बढ़ रही है। इसके साथ ही न्यायालय ने मछली पकड़ने के अधिकारों के पट्टे से संबंधित एक मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को कथित तौर पर बदनाम करने के लिए दो अधिवक्ताओं सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी किया।.भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में शीर्ष न्यायपालिका और न्यायाधीशों को बदनाम करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि किसी राजनीतिक मामले में मुकदमेबाजी करने वाली पार्टी को फैसला पसंद नहीं आता है तो न्यायपालिका और जजों को बदनाम किया जाता है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ के समक्ष तुषार मेहता द्वारा ये टिप्पणी की गई, जब छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने तीन-न्यायाधीशों की एक अन्य पीठ के समक्ष प्रवर्तन निदेशालय की याचिका को सूचीबद्ध करने की मांग की। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश सिब्बल ने मेहता की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि यह अनुचित है। उधर, एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही बात दोहराई। अदालत ने दो अधिवक्ताओं को अवमानना नोटिस भी जारी किया।
शीर्ष अदालत ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि अदालतों को कथित रूप से बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि कोई न्यायाधीश “गलती से परे” नहीं है और संभव है कि उन्होंने गलत आदेश पारित किया हो, जिसे बाद में रद्द किया जा सकता है, लेकिन न्यायाधीश को बदनाम करने के प्रयास की अनुमति नहीं दी जा सकती है।