न्यायमूर्ति गवई अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त, 14 मई को लेंगे शपथ

राष्ट्रीय
Spread the love

नयी दिल्ली: 29 अप्रैल (ए) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को मंगलवार को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त किया गया।

न्यायमूर्ति गवई 14 मई को सीजेआई का पदभार संभालेंगे। मौजूदा सीजेआई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी।

जस्टिस गवई का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल कई ऐतिहासिक और संवैधानिक फैसलों से जुड़ा रहा है। वे उस पांच-न्यायाधीशीय पीठ का हिस्सा रहे जिसने अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को सर्वसम्मति से वैध ठहराया। इसके अलावा, वे उस संविधान पीठ में भी शामिल रहे जिसने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया। यह फैसला राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया।

उन्होंने 2016 की नोटबंदी को लेकर आए मामले में 4:1 के बहुमत से केंद्र सरकार के निर्णय को वैध ठहराने वाली पीठ में भी योगदान दिया। एक सात-जजों की पीठ में वे शामिल रहे जिसने अनुसूचित जातियों के भीतर उपवर्गीकरण की अनुमति देने का ऐतिहासिक निर्णय दिया। इसके साथ ही, दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को सर्वोपरि माना। राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी ए जी पेरारिवलन की रिहाई के मामले में उन्होंने नेतृत्वकारी भूमिका निभाई और उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के निर्देश भी दिए, जो न्यायिक संतुलन और नागरिक अधिकारों की रक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा।

जस्टिस भूषण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और 1987 से बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। वे विशेष रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वह 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए। इसके बाद, 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने। मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद पर पदोन्नत हुए। उनका कार्यकाल छह महीने यानी 23 नवंबर 2025 तक रहेगा।

जस्टिस गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई एक प्रतिष्ठित दलित नेता और पूर्व राज्यपाल रहे हैं। वे ‘दादा साहब’ के नाम से लोकप्रिय थे और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।

जस्टिस गवई दलित समुदाय से आने वाले केवल दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले के जी बालकृष्णन इस पद पर आसीन हुए थे।