केजरीवाल सरकार के मोहल्ला क्लीनिक में ‘फर्जी’ प्रयोगशाला परीक्षण की सीबीआई जांच की सिफारिश

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, चार जनवरी (ए)। दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मोहल्ला क्लीनिक प्रयोगशाला में कथित फर्जी परीक्षणों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की है। राज निवास के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

इस घटनाक्रम से कुछ दिन पहले सक्सेना ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में उन दवाइयों की कथित आपूर्ति की सीबाआई जांच की सिफारिश की थी, जो मानकों पर खरा उतरने में नाकाम रही थीं।इस बीच, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार ने गलत कार्यों को लेकर मोहल्ला क्लीनिक के कई चिकित्सकों और कर्मचारियों को पिछले साल सेवा सूची से हटा दिया था और स्वास्थ्य सचिव को बर्खास्त करने की मांग की।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘यह सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटाले का संकेत है। सक्सेना ने दिसंबर 2022 में मोहल्ला क्लीनिक और दिल्ली सरकार के अस्पतालों में आने वाले मरीजों के लिए निजी प्रयोगशाला में जांच सुविधाओं के विस्तार से संबंधित एक फाइल को मंजूरी देते हुए ये निर्देश जारी किए।’’

दिल्ली सरकार के सतर्कता और स्वास्थ्य विभाग ने निजी डायग्नोस्टिक कंपनियों को भेजी जा रही प्रयोगशाला जांच के संबंध में छानबीन की। अधिकारी ने कहा कि पिछले साल अगस्त में यह पाया गया कि दक्षिण-पश्चिम, शाहदरा और उत्तर-पूर्वी जिलों में सात मोहल्ला क्लीनिक के कुछ चिकित्सकों और कर्मचारियों ने पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से धोखाधड़ी से अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए ‘‘अनैतिक आचरण’’ का सहारा लिया।

उन्होंने कहा कि ये मोहल्ला क्लीनिक जफर कलां, उजवा, शिकारपुर, गोपाल नगर, ढांसा, जगजीत नागर और बिहारी कॉलोनी में थे। अधिकारी ने कहा कि इन मोहल्ला क्लीनिक में मरीजों को चिकित्सा परामर्श प्रदान किया जाता था और चिकित्सकों की अनुपस्थिति में अनधिकृत कर्मचारियों द्वारा दवाएं वितरित की जाती थीं, जिससे मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती थी।

उन्होंने कहा कि पिछले साल सितंबर में कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई और उन्हें सूची से हटा दिया गया और उनके खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज की गईं। इसके बाद, दो निजी सेवा प्रदाताओं से प्राप्त पिछले साल जुलाई से सितंबर तक तीन महीनों के लिए नमूना प्रयोगशाला परीक्षण डेटा की समीक्षा की गई।

अधिकारी ने कहा, ‘‘इसमें यह पाया गया कि मरीजों के पंजीकरण और बाद में उनकी प्रयोगशाला जांच के लिए फर्जी या गैर-मौजूद मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, मोबाइल नंबर का दोहराव भी था। डेटा से स्पष्ट रूप से पता चला कि इन मोहल्ला क्लीनिक में फर्जी प्रयोगशाला जांच की गई, जिनकी आगे छानबीन करने की आवश्यकता है।’’

जांच रिपोर्ट के अनुसार, एक ही मोबाइल नंबर-9999999999 के साथ विभिन्न रोगियों के 3,092 रिकॉर्ड थे, जबकि 999 रोगियों के मामले में, उनके मोबाइल नंबर का 15 या अधिक बार दोहराव किया गया। इसी तरह, 11,657 मरीजों के नाम के आगे मोबाइल नंबर शून्य दर्ज था, जबकि 8,251 मरीजों के मामले में मोबाइल नंबर का कॉलम खाली छोड़ दिया गया था।

सक्सेना द्वारा सीबीआई जांच की सिफारिश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में आपूर्ति की जा रही ‘‘घटिया दवाओं’’ और मोहल्ला क्लीनिक में कथित घोटाले के लिए स्वास्थ्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

मंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले साल सितंबर में आप सरकार ने उपस्थिति प्रणाली में हेरफेर करने की कोशिश करने के आरोप में मोहल्ला क्लीनिक में तैनात सात चिकित्सकों सहित 26 कर्मचारियों को सेवा सूची से हटाने की घोषणा की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर मोहल्ला क्लीनिक में दवाओं के मानक या मरीज के रिकॉर्ड को लेकर शिकायतें हैं तो इसके लिए अधिकारी जिम्मेदार हैं। हम पहले ही कह चुके हैं कि स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन कुछ नहीं किया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सचिव को निलंबित क्यों नहीं किया गया? आप किसका इंतजार कर रहे हैं? इन लोगों (वरिष्ठ अधिकारियों) को उनके (उपराज्यपाल और केंद्र में भाजपा सरकार) द्वारा तैनात किया गया है।’’

दिसंबर 2022 में, आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने घोषणा की थी कि वह एक जनवरी, 2023 से अपने अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर 450 प्रकार की चिकित्सा जांच निशुल्क प्रदान करेगी।