लखनऊ, 26 जुलाई (ए)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों को देखते हुए, आशीष मिश्रा को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। यह निर्णय न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया।
उल्लेखनीय है कि मामले की बहस के दौरान अभियुक्त पक्ष की ओर से कहा गया कि अभियोजन कथानक के मुताबिक थार गाड़ी में आशीष मिश्रा मौजूद था और उसी ने ड्राइवर को भीड़ पर गाड़ी चढाने के लिए उकसाया। दलील दी गई कि घटनास्थल पर इतनी भीड़ थी, पुलिस के सायरन का शोर था और अभियोजन का कोई भी गवाह थार गाड़ी में मौजूद नहीं था, ऐसे में यह कैसे विश्वास किया जा सकता है कि अभियोजन के किसी गवाह ने अभियुक्त को अपने ड्राइवर को गाड़ी चढाने के लिए उकसाते हुए सुना हो। कहा गया कि वास्तव में घटना के वक्त आशीष मिश्रा दंगल में मौजूद था।
यह भी दावा किया गया कि 197 स्थानीय लोगों ने बकायदा शपथ पत्र देकर इस बात की पुष्टि जांच एजेंसी के समक्ष की है। वहीं वादी व सरकार की ओर से दलील दी गई है कि गवाहों के बयान में यह बात सामने आ चुकी है कि घटना के वक्त आशीष मिश्रा मौजूद था व अपनी थार गाड़ी से फायरिंग कर रहा था। गवाहों के बयानों को उद्धत करते हुए, यह भी दलील दी गई है कि जिस टैक्सी से अंकित दास खीरी से निकला था, उस टैक्सी ड्राइवर ने भी बयान दिया है कि रास्ते में अंकित दास घटना के बारे में फोन पर बात कर रहा था, उक्त बातचीत से आशीष मिश्रा पर लगे आरोपों की पुष्टि होती है। वहीं गवाह द्वारा अंकित दास के गनर लतीफ की बातचीत का भी उल्लेख किया गया है