नयी दिल्ली: 16 दिसंबर (ए) बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि अधिवक्ता पूर्णकालिक या अंशकालिक आधार पर वकालत के साथ-साथ पत्रकार के रूप में काम नहीं कर सकते।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने बीसीआई के रुख को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें बीसीआई नियमावली के नियम 49 का हवाला दिया गया है।पीठ ने कहा, ‘‘हमने बीसीआई के वकील की दलील सुनी, जिन्होंने कहा है कि निर्धारित नियमों के अनुसार, किसी वकील को अंशकालिक या पूर्णकालिक पत्रकारिता करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वह अब पत्रकार के रूप में काम नहीं कर रहे हैं और केवल वकील के रूप में काम करेंगे।’’बीसीआई के नियम वकीलों को पत्रकारिता सहित किसी भी अन्य पूर्णकालिक पेशे को अपनाने की अनुमति नहीं देते हैं।
यह निर्णय मोहम्मद कामरान द्वारा दायर मामले के संदर्भ में आया है, जो कथित तौर पर एक वकील और स्वतंत्र पत्रकार दोनों हैं।
इसके बाद कामरान ने एक हलफनामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि वह अब पत्रकार के रूप में काम नहीं करते हैं और केवल वकालत करते हैं।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई तीन फरवरी, 2025 तय की।