महाकुंभ: त्रिवेणी तट पर नागा साधु बने आकर्षण का केंद्र

राष्ट्रीय
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महाकुंभ नगर: तीन फरवरी (ए) महाकुंभ में सोमवार को बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित तीसरे अमृत स्नान में नागा साधु आकर्षण का केंद्र रहे, जिन्होंने अपने विशिष्ट स्वरूप और अनुष्ठानों से श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींचा।

अमृत स्नान के लिए अधिकांश अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए, इन साधुओं ने हथियार चलाने के कौशल का अद्भुत प्रदर्शन किया।कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार दिखे, जबकि अन्य गले में माला और त्रिशूल लटकाए नंगे पांव चलते दिखे।जब मीडियाकर्मी और श्रद्धालु उनकी तस्वीर ले रहे थे तो साधुओं ने उत्साहपूर्वक उन्हें अपनी परंपराओं को करीब से देखने के लिए आमंत्रित किया।

कुछ ने तो काले चश्मे भी पहने हुए थे, जिससे दर्शक काफी खुश हुए।

पुरुष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारण करती हैं।

इसके अतिरिक्त, खुद के साथ परिवार के लोगों का पिंड दान करना होता है तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं