महाकुंभ: 11 लाख से अधिक आगंतुकों ने देखी ‘स्वच्छ सुजल गांव’ की तस्वीर

राष्ट्रीय
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लखनऊ/महाकुम्भ नगर: 11 फरवरी (ए) प्रयागराज के महाकुंभ मेले में नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग द्वारा बसाए गए ‘स्वच्छ सुजल गांव’ को अब तक 11 लाख से अधिक आगंतुकों ने देखा है। एक आधिकारिक बयान में मंगलवार को यह जानकारी दी गयी।

बयान के मुताबिक यहां आने वाले श्रद्धालुओं ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार में आए बदलाव के बाद उत्तर प्रदेश के समृद्ध गांवों की कहानी देखी।नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ‘अतिथि देवो भवः’ की परंपरा का भी निर्वहन कर रहा है। ‘स्वच्छ सुजल गांव’ में आने वाले आगंतुकों को ‘जलप्रसाद’ भी दिया जा रहा है। गांव में प्रतिदिन शाम को गंगा जल आरती भी हो रही है।

बयान के अनुसार गांव में आगंतुकों का निरंतर आना जारी है। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। इस गांव में 19 जनवरी, 24 जनवरी, 26 जनवरी और नौ फरवरी को सर्वाधिक पर्यटक-श्रद्धालु आए। इन चार दिनों में प्रतिदिन यह संख्या एक लाख से अधिक रही। प्रमुख स्नान पर्वों पर इस गांव में प्रवेश बंद रहा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में जल जीवन मिशन के जरिए बुंदेलखंड के गांव-गांव में हर घर जल पहुंचाने की नई तस्वीर से भी आगंतुक रूबरू हो रहे हैं। वे यहां 2017 से पहले बदहाल और इसके बाद बदले बुंदेलखंड के बदलाव की गाथा का भी दीदार कर रहे हैं। देश-दुनिया से आए श्रद्धालु 40 हजार वर्गफीट क्षेत्र में बसे गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, ग्राम पंचायत, सौर ऊर्जा के जरिये समृद्ध उत्तर प्रदेश की नई कहानी भी देख रहे हैं।

राज्य सरकार के नेतृत्व में ग्रामीण जलापूर्ति एवं नमामि गंगे विभाग ने महाकुम्भ-2025 में ‘स्वच्छ सुजल गांव’ बसाया है। इसका दीदार 26 फरवरी तक किया जा सकेगा। ‘पेयजल का समाधान, मेरे गांव की नई पहचान’ विषय पर यह गांव 40 हजार वर्गफीट क्षेत्र में बसा है। कभी प्यासे रहे बुंदेलखंड में प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पेयजल की समस्या का समाधान हो गया है।

बांदा, झांसी, चित्रकूट के कई गांवों में पानी न होने के कारण शादी नहीं हो पाती थी। ललितपुर एवं महोबा के कई गांवों की महिलाओं के सिर के बाल पानी ढोने के कारण गायब हो गए थे। वे भी शुद्ध पानी से जीवन में आए बदलाव की कहानी को भी बयां कर रही हैं। यहां हर जानकारी पांच भाषा (हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, तेलगू व मराठी) में मिल रही है।महाकुम्भ में ‘जल मंदिर’ भी बनाया गया है। ‘जल मंदिर’ में प्रदर्शित झांकी में भगवान शिव की जटा से गंगा धरती पर आ रही है। इसके जरिए संदेश दिया जा रहा है कि जल प्रसाद है, जल जीवनदायी है। इसे बर्बाद नहीं, बल्कि संरक्षण करें। ‘जल मंदिर’ में सुबह-शाम गंगा जल आरती भी हो रही है। इस आरती में जल जीवन मिशन की गाथा, जल संरक्षण का संदेश भी दिया जा रहा है।

‘अतिथि देवो भवः’ भारत की परंपरा है। ‘स्वच्छ सुजल गांव’ में आने वाले अतिथियों का नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग सम्मान भी कर रहा है। आगंतुकों को जूट-कपड़े के बैग में ‘जलप्रसाद’ भी दिया जा रहा है। इसमें संगम का जल, जल जीवन मिशन की डायरी, सफलता/बदलाव की कहानी से जुड़ी आदि अध्ययन सामग्री भी है