गोरखपुर, 16 अक्टूबर (ए)। यूपी के कानपुर के रियेल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में फरार छठा आरोपी दारोगा विजय यादव को कैंट पुलिस ने शनिवार की दोपहर रेलवे म्यूजियम के पास गिरफ्तार कर लिया। यूपी के जौनपुर जिले के बख्शा इलाके के रहने वाले विजय पर एक लाख रुपये का इनाम था वह कोर्ट में सरेंडर करने गोरखपुर आया था।पांच पुलिसकर्मियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। शनिवार को छठे आरोपी दारोगा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली है। सूत्रों के मुताबिक विजय यादव की गिरफ्तारी के बाद एसआईटी एक साथ सभी 6 आरोपितों को रिमांड पर ले सकती है। इसके लिए एसआईटी ने अपनी तैयारियां शुरू भी कर दी हैं।
सभी आरोपितों के बयानों का अध्ययन करने के बाद उनके बयान में अंतर को रिमांड पर लेने के बाद दूर करने की तैयारी है। वहीं इसी के साथ एक बार फिर सीन रिक्रिएट भी कराया जा सकता है। रिमांड के दौरान सभी आरोपितों को एक साथ बैठाकर एसआईटी यह जानने की कोशिश करेगी कि वारदात में किसकी क्या भूमिका रही? साथ ही आरोपितों और चश्मदीदों के बयानों का भी मिलान कराया जाएगा। सभी बातें पूरी तरह स्पष्ट होने के बाद ही इस मामले की चार्जशीट की धाराओं पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
मनीष मर्डर केस के छह आरोपियों में से पांच लोगों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। 10 अक्टूबर को पुलिस ने मुख्य आरोपित इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और दारोगा अक्षय मिश्रा को गिरफ्तार किया था। 12 अक्टूबर को दारोगा राहुल दुबे और आरक्षी प्रशांत पकड़े गए। 13 को मुख्य आरक्षी कमलेश यादव पकड़ा गया। जौनपुर जिले के बख्शा थानाक्षेत्र स्थित चितौडी गांव का रहने वाला दारोगा विजय यादव फरार चल रहा था। उसे पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच, रामगढ़ताल पुलिस के साथ ही एसआइटी कानपुर की टीम गाजीपुर, जौनपुर लखनऊ के साथ ही दोस्तों और रिश्तेदारों के घर के छापेमारी कर रही थी लेकिन विजय यादव पकड़ से दूर था। शनिवार की दोपहर विजय सीजेएम कोर्ट में सरेंडर गोरखपुर पहुंचा। सूचना पर पहुंचे कैंट थाना प्रभारी सुधीर सिंह ने घेराबंदी कर दबोच लिया। एसएसपी डा. विपिन ताडा ने बताया कि फरार चल रहे दारोगा विजय यादव को कैंट पुलिस ने पकड़कर एसआइटी को सुपुर्द कर दिया है। कोर्ट में सरेंडर करने के इरादे से वह गोरखपुर आया था।
मनीष हत्याकांड में जेल गए इंस्पेक्टर जेएन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्रा, राहुल दुबे, सिपाही प्रशांत कुमार और हेड कांस्टेबल कमलेश यादव की गुरुवार को किसी से मुलाकात नहीं हो पाई। दो दरोगा फल-मिठाई लेकर पहुंचे थे और मुलाकात करना चाहते थे लेकिन जेल प्रशासन ने मिलने नहीं दिया। मिठाई लौटा दी और फल अंदर भिजवा दिए। वहीं दूसरी तरफ कमलेश यादव की बुधवार को जेल में पहली रात थी लिहाजा अन्य पुलिसवालों की अपेक्षा की पूरी रात बेचैनी के रूप में ही बीती। नेहरू बैरक में मौजूद पांचों पुलिसकर्मी गुरुवार को भी कुछ लोगों के मिलने की उम्मीद लगाए हुए थे।
सुबह से शाम होने पर जब कोई नहीं पहुंचा तब भी सभी आरोपित परेशान दिखे। उन्होंने जेल प्रशासन से भी पूछा कि उनके मुलाकाती नहीं आए क्या? हालांकि दिन में दो दरोगाओं ने मिलने का प्रयास किया था। वह फल और मिठाई लेकर पहुंचे थे। जेल प्रशासन ने उन्हें मिलने नहीं दिया।