IT नियम : कई सोशल मीडिया कंपनियों ने दी केन्द्र सरकार को जानकारी, ट्विटर अब भी अड़ा

राष्ट्रीय
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नई दिल्ली, 28 मई (ए)। प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों में से अधिकतर ने मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल संपर्क अधिकारी और शिकायत अधिकारी की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के साथ साझा की है। सूत्रों ने बताया कि कू, शेयरचैट, टेलीग्राम, लिंक्डइन, गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि ने नए नियमों के मुताबिक मंत्रालय के साथ जानकारियां साझा की हैं।
वहीं, इन नए नियमों को लेकर ट्विटर और भारत सरकार के बीच तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया के बाद, ट्विटर ने कल देर रात जानकारी भेजी थी, जिसमें भारत में एक कानूनी फर्म में काम करने वाले एक वकील का विवरण नोडल संपर्क व्यक्ति और शिकायत अधिकारी के रूप में साझा किया गया था।
सूत्रों ने बताया कि नियमों के अनुसार ये अधिकारी सोशल मीडिया कंपनी के कर्मचारी होने चाहिए और भारत के नागरिक होने चाहिए। ट्विटर ने अभी तक मुख्य अनुपालन अधिकारी की जानकारी मंत्रालय को नहीं भेजी है।
राज्यसभा की तदर्थ समिति ने पिछले साल तीन फरवरी को एक रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट में ऐसी सामग्री के फर्स्ट ओरिजिनेटर यानी इसे सबसे पहले पोस्ट करने वाले की पहचान की व्यवस्था बनाने की बात कही गई थी। नई सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में यही प्रावधान है। व्हाट्सएप ने इस प्रावधान की आड़ लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

केंद्र द्वारा जारी नियमावली के तहत दिए आदेशों का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था, जो 25 मई को पूरा हो चुका है। व्हाट्सएप का तर्क है कि किसी संदेश, फोटो या वीडियो के फर्स्ट ओरिजनेटर की पहचान के लिए उसे अपने प्रत्येक यूजर के हर प्रकार के संदेश की फिंगरप्रिंटिंग करनी होगी। यानी हर संदेश को एक अलग पहचान का कोड देना होगा। उस संदेश को जितनी बार भी फैलाया जाएगा, कोड यथावत रहेगा। 
इससे कोई संदेश सबसे पहले किस मोबाइल फोन यूजर द्वारा भेजा गया, इसकी पहचान हो सकेगी। यह बहुत कुछ किसी एसएमएस या फोन कॉल जैसा है, जिनका रिकॉर्ड टेलीकॉम कंपनियों के पास होता है।

नए निर्देशों के तहत सोशल मीडिया और ओटीटी कंपनियों को अपने-अपने नोडल अधिकारी नियुक्त करने हैं। जिनके माध्यम से शिकायतें दर्ज कराई जा सकेंगी। इसके साथ ही यदि कोई शिकायत आती है तो उस पर 15 दिन के भीतर अंतिम कार्रवाई करनी होगी और उसकी जानकारी साझा करनी होगी।
व्हाट्सएप ने यह भी कहा कि वह भारत सरकार के साथ व्यावहारिक समाधान निकालने के लिए बातचीत जारी रखेगा। साथ ही कानूनी रूप से मांगी गई सूचनाओं पर जवाब देता रहेगा। 

व्हाट्सएप के अनुसार, दुनिया भर में उसने अब तक सभी विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के समूह के साथ यूजर्स की निजता बनाए रखने का समर्थन और इसे तोड़ने वाले नियमों का विरोध किया है।
केंद्र ने व्हाट्सएप की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर बीते बुधवार को अपनी स्थिति स्पष्ट की थी। इसमें केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय ने कहा, अक्तूबर, 2018 से अब तक गंभीर अपराधों से जुड़े संदेशों के मूल स्रोत को तलाशने की जरूरत पड़ने पर व्हाट्सएप ने एक बार भी कभी इस बात पर लिखित आपत्ति दाखिल नहीं की। 
कंपनी हमेशा दिशा-निर्देशों को लागू करने की समयसीमा को आगे बढ़ाने की ही मांग करती रही। लेकिन पता लगाना संभव नहीं है, इसके लिए कोई औपचारिक आवेदन नहीं दिया। मंत्रालय ने कहा कि भारत में चल रहा कोई भी ऑपरेशन यहां के कानून के दायरे में आता है। दिशा-निर्देशों का पालन करने से इनकार करना इनका स्पष्ट उल्लंघन है।