प्रयागराज,02 अक्टूबर (ए)।इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने एकल न्यायपीठ के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें विवाहित पुत्री को परिवार का सदस्य मानते हुए अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार माना गया था। खंडपीठ ने कहा है कि विवाहिता पुत्री मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने की हकदार नहीं हैं। राज्य सरकार ने एकल न्यायपीठ के फैसले के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की थी। अपील पर कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने सुनवाई की।
खंडपीठ ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति की हकदार न मामने की तीन वजहें बताई हैं। पहली यह कि शिक्षण संस्थाओं के लिए बने रेग्यूलेशन 1995 के तहत विवाहिता पुत्री परिवार में शामिल नहीं है। द्वितीय आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती। याची ने छिपाया कि उसकी मां को पारिवारिक पेंशन मिल रही है। वह याची पर आश्रित नहीं है और तीसरे कानून एवं परंपरा दोनों के अनुसार विवाहिता पुत्री अपने पति की आश्रित होती है, पिता की आश्रित नहीं होती।