लखनऊ, आठ जनवरी (ए)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार में बसपा के राज्य मुख्यालय के पास बने पुल को पार्टी कार्यालय की सुरक्षा के लिये खतरा करार देते हुये प्रदेश सरकार से बसपा कार्यालय को किसी ‘सुरक्षित स्थान’ पर ले जाने की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती के इस बयान पर पलटवार करते हुए बसपा को भाजपा से मिली हुई पार्टी बताया और कहा कि पार्टी नेतृत्व को अगर लगता है कि उसकी सुरक्षा को खतरा है तो वह केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस पुल को तुड़वा दे।मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर सिलसिलेवार टिप्पणियां कर सपा को जमकर खरी-खोटी सुनायी।
उन्होंने कहा, ‘सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है। हालांकि बसपा ने पिछले आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र तथा चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।’
मायावती ने एक अन्य टिप्पणी में जून 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए कहा, ‘अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं, तो उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है।’’
पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि सपा शासन में कई फैसले दलित विरोधी किये गये।
उन्होंने इसी टिप्पणी में आगे कहा, ‘‘इसमें बसपा प्रदेश मुख्यालय के पास एक ऊंचा पुल बनाने का भी कृत्य है। यहां से षड्यंत्रकारी एवं अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों तथा राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुंचा सकते हैं । इस वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहां से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर स्थानांतरित करना पड़ा।’’
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘साथ ही, इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुंचने पर वहां पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है।’’
उन्होंने कहा, ‘ऐसे हालात में बसपा उत्तर प्रदेश सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना यहां कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे। पार्टी की यह भी मांग है।’
मायावती के इस बयान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में मायावती के पुल संबंधी बयान के बारे में पूछे जाने पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, ”तो तुड़वा दें….भाजपा से मिले हुए हैं…भाजपा को चिट्ठी लिखकर तुड़वा दें।”
उन्होंने कहा, ”अगर उनको लगता है कि उनकी सुरक्षा को खतरा हुआ है तो वह भारत सरकार को चिट्ठी लिख दें। भाजपा सरकार में तमाम बुलडोजर हैं और वह बुलडोजर लेकर तुरंत उसे तोड़ डालेंगे। मायावती जी के कहने से अगर यह बात मान ली जाए तो हमें कोई शिकायत नहीं होगी।”पूर्व मुख्यमंत्री ने पुल के बारे में कहा, ”यह पुल बनना बहुत जरूरी था क्योंकि उसके बगल में छोटा पुल था और उस पर बहुत जाम लगता था तो यह मांग उठी कि यह पुल बनना चाहिए। सपा की सरकार में दोनों पुल बनाने की अनुमति मांगी गई थी। उस वक्त की केंद्र सरकार ने मौका नहीं दिया था मगर उसके बाद एक पुल स्वीकृत कर दिया गया।”
उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि कुछ लोग पुल नहीं बनने देने की साजिश में लगे हैं और उनकी कोशिश है कि रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र ना मिले। सरकार ने उस वक्त के लेफ्टिनेंट जनरल और सेना के लोगों के सामने अपना पक्ष रखा तो वे सहमत हुए और उन्होंने पुल बनाने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया।
यादव ने कहा कि उस पुल के उद्घाटन में सरकार के लोगों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वह कभी-कभी रात में पुल के निर्माण कार्य की प्रगति को देखने जाते थे और बसपा आखिर किस-किस को दोष देगी।
वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजधानी के मॉल एवेन्यू स्थित बसपा राज्य मुख्यालय के सामने बनाये गये ओवर ब्रिज का लोकार्पण किया था।
बसपा के नेताओं ने आरोप लगाते हुए इसके निर्माण का पुरजोर विरोध किया था। उनका कहना था कि यह पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की सुरक्षा के लिए खतरा है।