लोकसभा में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक पेश

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, छह दिसंबर (ए) विपक्षी दलों के विरोध के बीच लोकसभा में सोमवार को स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक पेश किया गया। यह संशोधन अधिनियम की विसंगति को सुधारने के लिये है जिससे इसके विधायी उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।

लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कराड ने स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक 2021 पेश किया।

विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने आरोप लगाया कि भारी बहुमत होने के कारण यह सरकार संवेदनशील नहीं है और विपक्ष की बातों पर ध्यान नहीं देती है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को बिना ठीक ढंग से विचार-विमर्श किये ही लाया गया है और यह संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह विधेयक कानून को पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू करने का प्रयास करने वाला है और इसका मसौदा तैयार करने में भी त्रुटि हुई है।

बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने कहा कि सरकार कह रही है कि मसौदा तैयार करने में त्रुटि को दुरूस्त करने के लिये यह लाया गया है। यह कानून 1985 में बना और तीन बार इसमें संशोधन किये गए जिसमें पिछला संशोधन 2014 में किया गया था।

उन्होंने कहा कि सरकार को सात वर्ष बाद मसौदा में त्रुटि का ध्यान कैसे आया। इसके मसौदे में त्रुटि को सुधारने के बाद भी कई संवैधानिक विषय उठ सकते हैं, इसलिये फिर से ठीक ढंग से मसौदा तैयार करके लाया जाए।

कांग्रेस के के. सुरेश ने भी विधेयक के मसौदे को फिर से तैयार करके लाने की मांग की।

इस पर वित्त राज्य मंत्री कराड ने कहा कि कुछ सदस्यों ने कई मुद्दों को उठाया है और इस विषय को विधेयक पर चर्चा के दौरान लिया जा सकता है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि हाल ही में एक निर्णय में त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने कहा था कि स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) की धारा 27क का संशोधन करके जब तक समुचित विधायी परिवर्तन नहीं होता है और उसके स्थान पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 के खंड 8ख के उपखंड 1 से उपखंड 5 रख नहीं दिये जाते हैं तब तक एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 के खंड 8ख के उपखंड 1 से उपखंड 5 लोप या निरस्तता के प्रभाव से प्रभावित होते रहेंगे।

इसमें कहा गया है कि एनडीपीएस की धारा 27क की विसंगति को ठीक करने के लिये धारा 27क के खंड 8क के स्थान पर 8ख प्रतिस्थापित करने का निर्णय किया गया है ताकि इसके विधायी आशय को पूरा किया जा सके।