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कानून की शिक्षा सुदूर ग्रामीण भारत में ले जाने की जरूरत- सीजेआई

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प्रयागराज: 16 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को यहां कहा कि विधि विश्वविद्यालय की शिक्षा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक सुलभ जानी चाहिए जिससे छोटे कस्बे के विद्यार्थी इस शिक्षा से वंचित ना रहें।

डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के उद्घाटन के मौके पर चंद्रचूड़ ने कहा, “प्रौद्योगिकी ने हमें दूर दराज के विद्यार्थियों तक पहुंचने की क्षमता दी है। विधि शिक्षा में विकास के बावजूद समकालीन विधि शिक्षा व्यवस्था केवल अंग्रेजी बोलने वाले शहरी बच्चों का पक्ष लेती है।”उन्होंने कहा, “पांच विधि विश्वविद्यालय में विविधता को लेकर किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से विविध पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे इन विश्वविद्यालयों में दाखिला नहीं ले पाते।”

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चंद्रचूड़ ने कहा, “आज भाषिणी सॉफ्टवेयर की मदद से हमने 1950 से 2024 तक उच्चतम न्यायालय के करीब 36,000 फैसलों का अनुवाद किया है। इसका उद्देश्य ऐसे हर नागरिक तक इन्हें पहुंचाना है जो अंग्रेजी नहीं जानते और जनपद न्यायालयों में वकालत करते हैं ।

उन्होंने कहा, “यहां तक कि मूट कोर्ट, इंटर्नशिप और प्रतियोगिता जैसे अवसर भी पारंपरिक ढंग से सभ्रांत परिवार से आने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए। विधि कालेज और विश्वविद्यालयों को विविध पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर इसे डिजाइन करना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश ने डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की कि पढ़ाई का माध्यम हिंदी रखा जाना चाहिए ताकि उत्तर प्रदेश से सर्वोत्तम विद्यार्थी, सर्वोत्तम अधिवक्ता बनें। इनमें से कई इलाहाबाद उच्च न्यायालय और कई जनपद न्यायालयों में वकालत करेंगे।

चंद्रचूड़ ने कहा कि जब सभी को शिक्षा में समान अवसर प्रदान किया जाता है तभी रोजगार और समाज में योगदान के अवसर प्राप्त होते हैं।उद्घाटन कार्यक्रम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज मिश्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा और विश्वविद्यालय की कुलपति ऊषा टंडन ने भी संबोधित किया।

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