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तीन आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए नए विधेयक राज्यसभा में पेश

**EDS: VIDEO GRAB VIA SANSAD TV** New Delhi: Parliamentarians in the Rajya Sabha during Budget Session of Parliament, in New Delhi, Monday, March 27, 2023. (PTI Photo)(PTI03_27_2023_000090A)

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नयी दिल्ली,21 दिसंबर (ए)। गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 चर्चा एवं पारित करने के लिए राज्यसभा में पेश किया।

लोकसभा में कल इन तीनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई।भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860; दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेने के लिए लाया गया है।

भारतीय न्याय संहिता विधेयक में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर जोर दिया गया है। इसमें ‘‘सामूहिक बलात्कार’’ के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। 18 साल से कम उम्र की महिला से सामूहिक बलात्कार के अपराध में दोषी को फांसी तक की सजा का प्रावधान है। वहीं 18 साल से अधिक उम्र की महिला से सामूहिक बलात्कार के अपराध में दोषी को उम्र कैद और 20 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट रिकॉर्ड करेंगी। पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने दर्ज होगा और उस समय पीड़िता के अभिभावक मौजूद रह सकते हैं।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 में प्राथमिकी कहीं भी दर्ज करने का प्रावधान है जिसे 24 घंटे में संबंधित थाने को भेजा जाएगा।

साक्ष्य अधिनियम में इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों पर जोर दिया गया है और इनको दस्तावेज की श्रेणी में लाया गया है।

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