नई दिल्ली, 06 जून (ए)। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी थमी नहीं,इस बीच एक और वैरिएंट के पता चलने से एक बार फिर लोगों की चिंता बढ़ गई है। अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के बाद भारत में एक और नए कोरोना वैरिएंट का खुलासा हुआ है जो सात दिन में ही मरीज का वजन कम कर सकता है। वायरस का यह वैरिएंट ब्राजील में सबसे पहले मिला था लेकिन वहां से एक ही वैरिएंट के भारत में आने की पुष्टि की गई थी। अब वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि ब्राजील से एक नहीं बल्कि दो वैरिएंट भारत में आए हैं और ये दूसरा वैरिएंट बी .1.1.28.2 काफी तेज है।
सीरियाई हैमस्टर (एक प्रजाति का चूहा) में परीक्षण से पता चला है कि संक्रमित होने के सात दिन में ही इस वैरिएंट की पहचान हो सकती है। यह वैरिएंट तेजी से शरीर का वजन कम कर सकता है और डेल्टा की तरह ये भी ज्यादा गंभीर और एंटीबॉडी क्षमता कम कर सकता है।
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) की डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि बी.1.1.28.2 वैरिएंट बाहर से आए दो लोगों में मिला था। जिसकी जीनोम सीक्वेसिंग करने के बाद परीक्षण भी किया ताकि उसके असर के बारे में हमें पता चल सके। अभी तक भारत में इसके बहुत अधिक मामले नहीं है। जबकि डेल्टा वैरिएंट सबसे ज्यादा मिल रहा है। हालांकि सतर्कता बेहद जरूरी है क्योंकि एंटीबॉडी का स्तर भी कम करता है जिसके चलते दोबारा से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि इसी साल जनवरी में कोरोना वायरस के पी1 वंश का पता चला जिसे 20जे/501वाईवी3 नाम से भी जाना जाता है। इसमें 17 तरह के स्पाइक प्रोटीन पर बदलाव देखे गए थे जिनमें एन501वाई, ई484के और के417एन शामिल हैं। इसी दौरान पी2 वंश भी भारत में आया था जिसके बारे में अब पता चला है। इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में ई484के नामक अमीनो एसिड बदलाव मिला है लेकिन इसमें एन501वाई और के417एन नामक परिवर्तन नहीं हैं। चूंकि सरकार ने विदेश यात्रा से लौटे सभी यात्रियों के सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग को अनिवार्य किया है। इसीलिए हमें नए वैरिएंट के बारे में पता भी चल गया।
विदेश यात्रा से लौटे 69 और 26 वर्षीय दो लोगों के सैंपल की सिक्वेसिंग की गई थी। रिकवरी होने के तक ये दोनों रोगियों में लक्षण नहीं था लेकिन इनके सैंपल की सीक्वेसिंग के बाद जब बी.1.1.28.2 वैरिएंट का पता चला तो उसका नौ सीरियाई हैमस्टर पर सात दिन के लिए परीक्षण किया। इनमें से तीन की मौत शरीर के अंदुरुनी भाग में संक्रमण बढ़ने से हुई। इस दौरान फेफड़े की विकृति के बारे में भी पता चला और साथ ही एंटीबॉडी का स्तर कम होने के बारे में भी जानकारी मिली है।
इस अध्ययन में यह देखने को मिला है कि जिन दो लोगों में यह वैरिएंट मिला, वे बिना लक्षण वाले थे लेकिन जब इस वैरिएंट से सीरियाई हैमस्टर को संक्रमित किया तो गंभीरता के बारे में पता चला। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस के ज्यादातर परीक्षण सीरियाई हैमस्टर पर हो रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर बी.1.1.28.2 से जुड़े मामले बढ़ते हैं तो इसका असर इंसानों पर काफी गंभीर हो सकता है।