नयी दिल्ली, 18 जून (ए) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य के प्राधिकारी खुद को कानून से ऊपर समझते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी नियमों का उल्लंघन जारी रखे हुए हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और इसमे उपचारात्मक कार्रवाई की जरूरत है।
वायु गुणवत्ता और जन स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले ठोस कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण में असफलता को रेखांकित करते हुए एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और बिजनौर के जिलाधिकारी को कचरे का प्रबंधन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसके निर्देश के अनुरूप अगर संतोषजनक कदम नहीं उठाए गए तो वह संबंधित अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करेगी।
एनजीटी ने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत वैज्ञानिक तरीके से कचरे के निस्तारण की योजना शहरी विकास सचिव द्वारा तैयार राज्य नीति के नियम 11 के अनुरूप बनाई जानी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा नियम बनने के पांच साल बाद और वायु प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम-1981 के 40 साल के बाद भी प्राधिकारी ठोस कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण सुनिश्चित करने में असफल रहे, ताकि वायु गुणवत्ता और जन स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से बचा जा सके।’’
अधिकरण ने बिजनौर के जिलाधिकारी, नगर परिषद और अन्य संबंधित अधिकारियों को प्रभावी तरीके से ठोस कचरे का प्रबंधन सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए यूपीपीसीबी और बिजनौर के जिलाधिकारी को ई-मेल के जरिये कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
एनजीटी ने यह आदेश उत्तर् प्रदेश् निवासी अरविंद कुमार और अन्य द्वारा बिजनौर जिले में नूरपुर नगर परिषद द्वारा कचरा चांगीपुर गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के किनारे अवैज्ञानिक तरीके से फेंकने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।