नयी दिल्ली: 17 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बिहार पुलिस की एक महिला अधिकारी की पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उस याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया गया है।
महिला पुलिसकर्मी ने आरोप लगाया है कि आईपीएस अधिकारी ने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ बलात्कार किया था।न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च के लिए तय की।न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने मामले पर बिहार सरकार और आईपीएस अधिकारी पुष्कर आनंद को नोटिस जारी किया।
महिला की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने दलील दी कि 19 सितंबर, 2024 का उच्च न्यायालय का आदेश ‘‘किसी भी कानूनी कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला और मामले के तथ्यों से परे’’ है।
महिला अधिकारी की शिकायत पर 29 दिसंबर, 2014 को बिहार के कैमूर में महिला पुलिस थाने में आईपीएस अधिकारी और उनके माता-पिता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
आनंद के खिलाफ बलात्कार और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया था जबकि उनके माता-पिता पर अपराध को बढ़ावा देने का मामला दर्ज किया गया।