पहलगाम हमला: जंगल से निकले आदमी ने गोली चलाई और मेरे पिता गिर पड़े: आरती

राष्ट्रीय
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कोच्चि: 24 अप्रैल (ए/।) जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में अपने पिता को खोने वाली केरल के कोच्चि की निवासी आरती आर मेनन इस भयावह मंजर को कभी नहीं भूल पायेंगी।

दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर इस प्रमुख पर्यटन स्थल पर मंगलवार दोपहर आतंकवादियों के हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे।

अपनी आंखों के सामने अपने पिता एन. रामचंद्रन की गोली मारकर हत्या होते देखने के तीन दिन बाद मेनन घर वापस आ गई हैं और अभी भी इस भयावह मंजर के सदमे से जूझ रही हैं।

उन्होंने यहां बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा, ‘‘पहले तो हमने सोचा कि यह आतिशबाजी हो रही है। लेकिन अगली गोली चलने पर मुझे पता चल गया कि यह आतंकवादी हमला है।’’

मेनन, उनके 65 वर्षीय पिता और उनके छह वर्षीय जुड़वां बेटे बैसरन में घूम रहे थे तभी यह भयावह घटना घटी। उनकी मां शीला कार में ही बैठी रही थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग बचने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। जब ​​हम आगे बढ़ रहे थे, तो एक आदमी जंगल से निकला। उसने सीधे हमारी तरफ देखा।’’

मेनन ने कहा कि जंगल से निकले उस व्यक्ति ने कुछ ऐसे शब्द कहे जो उन्हें समझ में नहीं आए। उन्होंने बताया, ‘‘हमने क्या जवाब दिया, हमें नहीं पता। अगले ही पल उसने गोली चला दी। मेरे पिता हमारे बगल में गिर पड़े।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने दो लोगों को देखा, लेकिन उन्होंने सेना की वर्दी नहीं पहनी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बेटों ने चिल्लाना शुरू कर दिया और वह आदमी भाग गया। मुझे पता था कि मेरे पिता अब इस दुनिया से चले गए हैं। मैं अपने बेटों को लेकर जंगल में भाग गई, मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था कि मैं कहां जा रही हूं।’’

मेनन ने बताया कि वे जंगल में लगभग एक घंटे तक भटकते रहे। उन्होंने बताया कि जब आखिरकार उनके फोन पर सिग्नल पर आया, तो उन्होंने अपने चालक मुसाफिर को फोन किया।

उन्होंने कहा कि इस भयावह मंजर के बीच मेनन को कुछ अजनबी लोगों का सहारा भी मिला और उन्होंने उनके साथ परिवार जैसा व्यवहार किया।

मेनन ने कहा, ‘‘मेरे चालक और एक अन्य व्यक्ति, समीर – वे मेरे भाई जैसे हो गए। वे हर समय मेरे साथ खड़े रहे, मुझे शवगृह ले गए और औपचारिकताओं को पूरा करने में मेरी मदद की। मैं वहां तड़के तीन बजे तक इंतजार करती रही।’’

श्रीनगर से निकलते समय मेनन ने उनसे एक ही बात कही थी, ‘‘कश्मीर में अब मेरे दो भाई हैं। अल्लाह आप दोनों की रक्षा करे।’’

आतंकवादी हमले के बाद मेनन ने अपने पिता के पार्थिव शरीर को कोच्चि वापस लाने की जिम्मेदारी ली और इस दौरान उन्होंने अपनी मां को इस त्रासदी के बारे में नहीं बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मजबूत होने का दिखावा करना पड़ा क्योंकि मैं टूट नहीं सकती थी। मुझे अपनी मां और बच्चों को संभालना था।’’

मेनन ने बताया कि उन्होंने अपनी मां को बताया कि रामचंद्रन घायल हो गये हैं और उनका इलाज हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘बुधवार शाम को कोच्चि पहुंचने के बाद ही मैंने अपनी मां को सच्चाई बताई।’’

दुबई में काम करने वाली मेनन कुछ समय के लिए भारत आयी हैं। उन्होंने कश्मीर में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने की योजना बनाई थी। वे 21 अप्रैल की शाम को घाटी पहुंचे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अक्सर यात्रा पर जाती रहती हूं। लेकिन यह पहली बार था जब मैं कश्मीर गई थी।’’

कोच्चि के एडापल्ली निवासी रामचंद्रन का पार्थिव शरीर बुधवार रात करीब आठ बजे कोच्चि हवाई अड्डे पर लाया गया।

रामचंद्रन का अंतिम संस्कार शुक्रवार को पूर्वाह्न 11 बजे एडापल्ली श्मशान घाट पर किया जाएगा।