नयी दिल्ली: 28 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि रोहिंग्या बच्चे प्रवेश के लिए सरकारी स्कूलों से संपर्क कर सकते हैं और इनकार किए जाने की स्थिति में वे उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) कार्ड रखने वाले रोहिंग्या बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह बात कही।पीठ ने एनजीओ ‘रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस से कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि बच्चे पहले सरकारी स्कूलों का रुख करें। अगर उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता है, तो वे उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।’’पीठ ने कहा कि उसने इसी तरह की राहत की मांग करने वाली एक अन्य जनहित याचिका पर भी इसी तरह का आदेश पारित किया है।
गोंजाल्विस ने कहा कि अदालत अपने निर्देश को आदेश में दर्ज कर सकती है, जिससे 500 छात्रों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं 2018 से इस मुद्दे के लिए लड़ रहा हूं और एक सीधे आदेश के साथ, अदालत 500 छात्रों को प्रवेश दिला देगी।’’
पीठ ने कहा कि वह वही आदेश पारित कर रही है, जो उसने रोहिंग्या बच्चों के समान मुद्दे को उठाने वाली जनहित याचिका पर पारित किया था।
बारह फरवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि शिक्षा पाने में किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।