मणिपुर में हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा

राष्ट्रीय
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लखनऊ, सात अगस्त (ए) मणिपुर मुद्दे पर सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और प्रदर्शन कर रहे विपक्षी दलों ने पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव लाने का दबाव डाला, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।.

समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और कांग्रेस के सदस्य मणिपुर में जारी हिंसा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बयान देने की मांग करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए। शून्यकाल के दौरान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मणिपुर मुद्दा ‘‘गंभीर’’ है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या हम इसकी निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव पारित नहीं कर सकते?’’.

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अनुरोध ठुकराते हुए सदस्यों से राज्य के मुद्दे तक सीमित रहने के लिए कहा। यादव ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और प्रधानमंत्री भी यहां अपने निर्वाचन क्षेत्र से राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए कम से कम मणिपुर हिंसा पर, हमें उम्मीद है कि आप (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) बोलेंगे और इसकी निंदा करेंगे।’’

मोदी वाराणसी से लगातार दूसरी बार लोकसभा सांसद हैं। अखिलेश यादव ने यह भी कहा, ‘‘सदन के नेता (योगी आदित्यनाथ) भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। आप किस राज्य में वोट मांगने नहीं जाते? कम से कम आज मौका तो है कि आप कुछ कहकर देश की आवाज बन सकते हैं। और अगर आपको इसके लिए हमारे समर्थन की आवश्यकता है, तो हम तैयार हैं। आज, आप साबित कर सकते हैं कि आपके पास भी अपनी आवाज है।’’

विपक्षी दलों की मांग को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि परंपरा और परिपाटी सदन में इस मामले को उठाने की अनुमति नहीं देती है। यादव को जवाब देते हुए अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यहां सभी ने इसकी निंदा की है, लेकिन विधानसभा दूसरे राज्यों के बारे में नहीं बोल सकती।’’

अध्यक्ष ने कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष, आप बहुत सक्षम हैं और आपको इसे राजनीतिक रूप नहीं देना चाहिए। जो कुछ हुआ वह बेहद गलत था। चर्चा वहीं होगी जहां घटना हुई है। अगर बंगाल और केरल में कुछ हो रहा है, तो इसे यहां ग़लत या सही नहीं कहा जा सकता।’

अध्यक्ष ने कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा की मांग भी ठुकरा दी, जिन्होंने कहा कि सूचीबद्ध कामकाज को स्थगित कर इस मामले को सदन में उठाया जाए।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव से पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, ‘‘मणिपुर में जो घटना हुई, उसके बारे में हर कोई जानता है। संबंधित राज्य सरकार या केंद्र सरकार इस पर चर्चा कर सकती है, कुछ भी कर सकती है लेकिन यह विषय यहां से संबंधित नहीं है इसलिए इस पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।’’

विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए खन्ना ने सवाल किया कि मुजफ्फरनगर के कैराना में 2016 में हुए ‘पलायन’ की निंदा करते हुए सदन में कितने प्रस्ताव पारित किए गए?

खन्ना ने कहा, ‘‘जवाहर बाग की घटना हुई, कितने प्रस्ताव पारित किए गए? वे (तत्कालीन सपा सरकार) कह सकते थे कि वे इसकी निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करेंगे।’’ उन्होंने विपक्षी दलों पर सदन का समय बर्बाद करने का आरोप लगाया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन सांसद हुकुम सिंह ने जून 2016 में दावा किया था कि एक विशेष समुदाय के आपराधिक तत्वों की कथित धमकियों और जबरन वसूली के कारण करीब 350 हिंदुओं ने कैराना छोड़ दिया था।

जून 2016 में जवाहर बाग में अतिक्रमणकारियों को हटाने के अभियान के दौरान दो पुलिस अधिकारियों सहित 20 से अधिक लोग मारे गए थे।

विपक्षी सदस्यों द्वारा मणिपुर मुद्दे पर नारेबाजी और अपनी सीट पर लौटने से इनकार करने पर, अध्यक्ष ने सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।

यह मुद्दा उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भी उठा, जहां सपा सदस्यों ने मणिपुर की सड़कों पर महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने को लेकर उच्च सदन में प्रदर्शन किया। पूर्वाह्न 11 बजे जब कार्यवाही शुरू हुई तो सपा के विधान पार्षद लालबिहारी यादव और उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों ने पहले मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने पर जोर दिया।

सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने उनसे इस मामले को प्रश्नकाल के बाद उठाने को कहा। सभापति ने कहा कि वह शून्यकाल के दौरान इस मामले को सुनेंगे, लेकिन विपक्षी सदस्य नहीं माने और अपना विरोध जारी रखा, जिसके बाद सभापति ने पहले कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए और बाद में दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

मानसून सत्र शुरू होने से पहले, सपा विधायकों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के सामने धरना दिया, जिसमें महंगाई, बढ़ती अपराध दर और निजी क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया गया। विधायक अपने मुद्दों के संबंध में तख्तियां लिए हुए थे। कुछ सदस्यों को आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के विरोध में टमाटर से बनी मालाएं पहने हुए भी देखा गया।