उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के मामले में सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाई

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, 18 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक किशोरी से छेड़छाड़ और बलात्कार के आरोपी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही पर अंतरिम रोक का आदेश दिया है।.

न्यायमूर्ति वी रामासुब्रण्यम और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने उत्तराखंड सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और अन्य को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में उनका जवाब मांगा है।.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्री ने न्यायालय को बताया कि मेडिकल अधिकारी, गवर्नमेंट हॉस्पिटल, रानीखेत की रिपोर्ट पर अल्मोड़ा के रिमांड मजिस्ट्रेट का भी हस्ताक्षर है, जिससे यह जाहिर होता है कि याचिकाकर्ता हाथों से 100 प्रतिशत दिव्यांग है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट उस वक्त तैयार की गई, जब याचिकाकार्ता को गिरफ्तार किया गया और मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने से पहले मेडिकल जांच कराई गई।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘चूंकि, याचिका गंभीर सवाल उठाता है, इसलिए नोटिस जारी किया जाए, जिसका जवाब चार हफ्तों के अंदर देना होगा। यह उल्लेख किया जाता है कि 30 नवंबर 2022 को अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई और आरोप तय किया जाना बाकी है। इसलिए, आगे की कार्यवाही पर एक अंतरिम रोक लगाई जाती है।’’

शीर्ष न्यायालय दिल्ली सचिवालय में पदस्थ ए वी प्रेमनाथ नाम के अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने अपने खिलाफ कथित आपराधिक साजिश की सीबीआई जांच की मांग की है।

अधिकारी के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 511 ( अपराध की कोशिश करने को लेकर सजा) और 506(आपराधिक भयादोहन) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत आरोप दर्ज किया गया है।

पुलिस के अनुसार, आरोपी ने अपनी पत्नी के गैर सरकारी संगठन ‘प्लेजर वैली फाउंडेशन’ द्वारा संचालित एक स्कूल में किशोरी से छेड़छाड़ की थी।