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शीर्ष अदालत ने यूट्यूबर के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही पर रोक लगाई

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नयी दिल्ली: 14 अगस्त (ए) उच्चतम न्यायालय ने प्रसिद्ध यूट्यूबर सावुक्कु शंकर को राहत देते हुए उनके खिलाफ तमिलनाडु पुलिस द्वारा दर्ज 16 प्राथमिकियों को दंडात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी। ये प्राथमिकियां एक यूट्यूब चैनल को दिए गए उनके साक्षात्कार से संबंधित हैं।

शंकर (48) को 30 अप्रैल को यूट्यूब चैनल “रेडपिक्स 24×7” को दिए गए एक साक्षात्कार में महिला पुलिसकर्मियों के बारे में अपमानजनक बयान देने के आरोप में चार मई को कोयंबटूर पुलिस ने दक्षिणी थेनी से गिरफ्तार किया था। इस मामले में उनके खिलाफ कई प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं।इन मामलों के अलावा, यूट्यूबर पर थेनी पुलिस ने गांजा रखने के आरोप में भी मामला दर्ज किया है।शंकर को उच्चतम न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया था। हालांकि, सोमवार को उन्हें राज्य पुलिस ने फिर से हिरासत में ले लिया।

उच्च न्यायालय ने कोयंबटूर केंद्रीय कारागार में बंद यूट्यूबर के किसी अन्य मामले में आरोपी न होने की सूरत में उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 18 जुलाई को शंकर को रिहा करने का आदेश दिया था।

प्राथमिकी रद्द करने की मांग करने वाली याचिका प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष आई। पीठ ने न केवल राज्य सरकार और उसके पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किए, बल्कि शंकर के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही पर भी रोक लगा दी।

प्रधान न्यायाधीश ने आदेश दिया, “नोटिस जारी करें, अगले आदेश तक प्राथमिकियों के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी।”

पीठ ने नयी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए कहा, “हमने सभी 16 प्राथमिकियों में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की है। कृपया सभी प्राथमिकियों का पूरा चार्ट भी दाखिल करें।”

पीठ ने वकील बालाजी श्रीनिवासन की इस दलील पर गौर किया कि शंकर को तमिलनाडु पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार कर लिया, जबकि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय ने उनकी रिहाई का आदेश दिया था।

श्रीनिवासन ने कहा कि हाल में हिरासत में लिए जाने को चुनौती देने के लिए एक नई याचिका दायर की जा सकती है। शंकर ने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने और हिरासत में यातना देने के लिए उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर रही है।

शंकर की मां ए. कमला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि यदि किसी अन्य मामले में वह आरोपी न हो तो उन्हें रिहा कर दिया जाए।

शंकर तमिलनाडु में द्रमुक शासन और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के कटु आलोचक हैं।

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