सपा के ‘पीडीए’ का मतलब परिवार का विकास : उपमुख्यमंत्री मौर्य

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ: दो नवंबर (ए) उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दल के पीडीए का मतलब सिर्फ परिवार का विकास है।

यादव ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे को लेकर भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था कि यह नकारात्मक नारा उनकी निराशा और नाकामी का प्रतीक है, जिसके कुछ घंटों बाद मौर्य ने यह बयान दिया।मौर्य ने यादव पर तीखा हमला किया करते हुए आरोप लगाया कि सपा के पीडीए का मतलब सिर्फ परिवार का विकास है।

मौर्य ने ‘एक्‍स’ पर एक पोस्ट में कहा, “अखिलेश यादव का ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) असल में ‘परिवार डेवलपमेंट एजेंसी’ ही है।”

मौर्य ने पोस्ट में कहा, “नाम तो गरीबों, पिछड़ों और दलितों का असल मकसद सिर्फ अपने परिवार का विस्तार करना है। असलियत में टिकटों की लिस्ट आएगी तो बस चाचा-भतीजे और करीबी ही नजर आते हैं।”

उपमुख्यमंत्री ने कहा, “सपा ने ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक परिवारवाद का झंडा इतिहास और वर्तमान दोनों है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, जो लाखों गैर-राजनीतिक परिवारों के युवाओं को ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक में शामिल कर परिवारवाद के दलदल से लोकतंत्र की बुनियाद मजबूत कर रहे हैं।”

मौर्य ने दोहराया, “सपा का पीडीए का मतलब सिर्फ परिवार का विकास, भाजपा का लक्ष्य लोकतंत्र का विस्तार! परिवार माडल और विकास मॉडल” का फर्क जनता समझ रही है।”

इससे पहले सपा प्रमुख ने किसी का नाम लिए बगैर ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘उनका ‘नकारात्मक-नारा’ उनकी निराशा-नाकामी का प्रतीक है। इस नारे ने साबित कर दिया है कि उनके जो गिनती के 10 प्रतिशत मतदाता बचे हैं अब वे भी खिसकने के कगार पर हैं, इसीलिए ये उनको डराकर एक करने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन ऐसा कुछ होने वाला नहीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नकारात्मक-नारे का असर भी होता है, दरअसल इस ‘निराश-नारे’ के आने के बाद, उनके बचे-खुचे समर्थक ये सोचकर और भी निराश हैं कि जिन्हें हम ताकतवर समझ रहे थे, वो तो सत्ता में रहकर भी कमजोरी की ही बातें कर रहे हैं। जिस ‘आदर्श राज्य’ की कल्पना हमारे देश में की जाती है, उसके आधार में ‘अभय’ होता है; ‘भय’ नहीं। ये सच है कि ‘भयभीत’ ही ‘भय’ बेचता है क्योंकि जिसके पास जो होगा, वो वही तो बेचेगा।’’

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के इतिहास में यह नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज होगा और उनके (भाजपा) राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आखिरी ‘शाब्दिक कील-सा’ साबित होगा।

सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘देश और समाज के हित में उन्हें अपनी नकारात्मक नजर और नजरिये के साथ अपने सलाहकार भी बदल लेने चाहिए, ये उनके लिए भी हितकर साबित होगा। एक अच्छी सलाह ये है कि ‘पालें तो अच्छे विचार पालें’ और आस्तीनों को खुला रखें, साथ ही बाँहों को भी, इसी में उनकी भलाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सकारात्मक समाज कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!’’

अखिलेश का यह बयान ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश में होने जा रहे उपचुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है।

उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘देश के इतिहास में यह नारा ‘निकृष्टतम-नारे’ के रूप में दर्ज होगा और उनके राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय के रूप में आखिरी ‘शाब्दिक कील-सा’ साबित होगा।’’

निर्वाचन आयोग ने 15 अक्टूबर को उप्र की नौ सीट पर उपचुनाव की घोषणा की थी, जिसमें अदालत में मामला लंबित होने के कारण मिल्कीपुर (अयोध्या) को छोड़ दिया गया था।जिन सीट पर उपचुनाव की घोषणा की गई है, उनमें कटेहरी (अंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर नगर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं।

इनमें से आठ सीट लोकसभा चुनाव में संबंधित विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थीं, जबकि सीसामऊ सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी की अयोग्यता के कारण उपचुनाव हो रहा है, जिन्हें एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था।

संबंधित सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान 13 नवंबर को होगा और चुनाव परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे