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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामला : अदालत ने दाखिल अर्जी पर आपत्तियां आमंत्रित की

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प्रयागराज: 19 मार्च (ए) उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दाखिल अर्जी पर मंगलवार को आपत्तियां आमंत्रित करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख तीन अप्रैल तय की।

यह अर्जी हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई है जिसमें सभी की ओर से प्रतिनिधि की क्षमता में मुकदमा लड़ने की अनुमति मांगी गई है क्योंकि इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से 18 वाद दाखिल हैं और हर वाद में कई वादी हैं।इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ कर रही है। अदालत ने हिंदू पक्ष की ओर से दायर एक अन्य आवेदन पर मुस्लिम पक्ष को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया। इस आवेदन में प्रार्थना की गई है कि शाही ईदगाह मस्जिद के स्थान को विवादित ढांचा माना जाए। इससे पूर्व, पांच मार्च, 2025 को अदालत ने हिंदू पक्ष (भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव) की तरफ से दाखिल संशोधन के आवेदन को स्वीकार कर लिया था। इस आवेदन में कहा गया था कि वादियों को पता चला है कि विवादित संपत्ति को संरक्षित स्मारक घोषित करते हुए 27 दिसंबर, 1920 को आधिकारिक गजट में एक अधिसूचना जारी की गई थी। अदालत में यह दलील भी दी गई थी कि इस संपत्ति को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था और वर्तमान में यह केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारक है। इसलिए याचिका में संशोधन कर इस तथ्य को रिकॉर्ड में दर्ज करना आवश्यक है।

इस प्रकार से केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पक्षकार बनाने के लिए भी संशोधन का आवेदन किया गया। यद्यपि मुस्लिम पक्ष ने केंद्र और एएसआई को पक्षकार बनाने का यह कहते हुए विरोध किया कि संशोधन के आवेदन के जरिए किसी को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा, “उक्त संशोधन आवेदन को समग्र आवेदन के तौर पर माना जा सकता है। नए पक्ष को पक्षकार बनाने के लिए संशोधन की याचिका पहले ही इस आवेदन में की जा चुकी है और कोई नई प्रार्थना नहीं की गई है।” अदालत ने कहा, “हमारे विचार से परिवर्तन के मामले में ना तो मुकदमे की प्रकृति बदल रही है और ना ही किसी नयी राहत की मांग की जा रही है।”

अदालत ने कहा कि इस मामले में वास्तविक विवाद के प्रभावी न्यायिक निर्णय और वाद की बहुलता से बचने के लिए प्रस्तावित संशोधन आवश्यक है, इसलिए याचिका में संशोधन की प्रार्थना 5,000 रुपये के शुल्क भुगतान के साथ स्वीकार की जाती है। यह राशि प्रतिवादी को देय होगी। उल्लेखनीय है कि हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और उस स्थान पर मंदिर बहाल करने की मांग के साथ 18 वाद दायर किए हैं। यह विवाद मथुरा में मुगल शासक औरंगजेब के जमाने की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसका निर्माण कथित तौर पर भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया है।

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